इसी के साथ जब लड़की के परिवार ने इस तरह के बेतुके सवाल पूछे जाने का विरोध किया तो पीड़ित के माता−पिता के साथ बदसलूकी भी की गई। बाद में जब मामला बढ़ा तो आरोपी एसएचओ भगवान सिंह को सस्पेंड कर दिया गया और उसके खिलाफ विभागीय जांच बिठाई गई है, लेकिन इतना सब कुछ होने के बावजूद पुलिस पीड़ित लड़की के आरोपों से इनकार कर रही है।
आरोपी एसएचओ के खिलाफ विजलेंस जांच हो रही है। दो संस्थाओं चाइल्ड वैलफेयर कमेटी और एक अन्य संस्था ने आरोपों की जांच करके एसएचओ को क्लीन चिट दी थी लेकिन विजलेंस जांच की रिपोर्ट आनी बाकी है. घटना पिछले महीने की है।
उधर जब पत्रकारों ने सवाल किया की एक बार फिर एक महिला के साथ थाने के अन्दर दुर्व्यवहार हुआ है, इसपर आपका क्या कहना है? तो उन्होंने सिर्फ इतना ही जवाब दिया की इस बारे में उपराज्यपाल और पुलिस कमिश्नर ही कोई जवाब देंगे, वही मामले को देख रहे हैं।
इससे यह साफ हो जाता है की मुख्यमंत्री ने फिर से दिल्ली पुलिस का रोना रोया। शीला दीक्षित हमेशा से ही कानून व्यवस्था का ठीकरा उपराज्यपाल पर फोड़ती आई हैं, और इस बार भी शिला ऐसा करने से नहीं चुकी।