अगर आप नहीं समझे हैं तो जान और समझ लें। मानव में लड़कियों से घृणा किया जाता है। लड़कों को प्यार और दुलार किया जाता है। इसे वंश प्रसार करने वाले माने जाते हैं। तो लड़कियों को दुत्कारा और फटकारा जाता है। इसका मतलब पुरूष और महिलाओं के बीच में असमानता की जाती है। उसी तरह पशु पालकों के द्वारा पशुओं के साथ व्यवहार किया जाता है। अगर गौ माता के गर्भ से बाछी (स्त्रीलिंग) पैदा हुई तो खुशी मनाया जाता है। अगर बाछा (पुलिंग) पैदा हुआ तो मातम मनाया जाता है। गौ माता के थन से बाछी को दूध पीने दिया जाता है। इसकी परवरिश पर अधिक ध्यान और तवज्जों दिया जाता है। बीमार पड़ने पर इलाज करवाया जाता है। इसे वंश प्रसार करने वाली और दूध देने वाली समझी जाती है।
इसके बाद पशु पालकों के द्वारा गौ माता को भरमाने के लिए मृत बाछा के चमड़े से खालका बनाते हैं। खालको को गौ माता के सामने पेश किया जाता है। अपना संतान समझकर गौ माता प्यार में खालका चाटने लगती है। इसी बीच गौ माता के थन में दूध उतर जाता है। इसके बाद दूध दूहना शुरू कर दिया जाता है। अभी भी इसे खालका चलन गांवघर में होता है। शहर में खालका का चलन बंद हो गया है। अब उसके बदले में सूई ले लिया है।