ओशो के आनुसार यदि अच्छे लोगों के हाथों में राजनीति आ जाए तो अभूतपूर्व परिवर्तन हो सकते हैं। बुरा आदमी बुरा सिर्फ इसलिए है कि अपने स्वार्थ के अतिरिक्त वह कुछ भी नहीं सोचता। अच्छा आदमी इसलिए अच्छा है कि अपने स्वार्थ से दूसरे के स्वार्थ को प्राथमिकता देता है। बुरा आदमी सत्ता में जाने के लिए सब बुरे साधनों का उपयोग करता है। और एक बार सत्ता में जाने में, अगर बुरे साधनों का उपयोग शुरू हो जाए तो जीवन की सब दिशाओं में बुरे साधन प्रयुक्त हो जाते हैं।
अच्छे लोग सत्ता में होंगे, तो अच्छे लोगों को ही पैदा करने की व्यवस्था करते हैं। क्योंकि बुरा आदमी जो प्रतिक्रिया पैदा करता है, उससे और बुरे आदमी पैदा होते हैं। बुरा आदमी जब चलन में हो जाता है, तो अच्छे आदमी को चलन से बाहर करता है।
जब एक राजनीतिज्ञ बुरे साधन का प्रयोग करके मंत्री हो जाए, तो एक गरीब आदमी बुरे साधनों का उपयोग करके अमीर क्यों न हो जाए? और एक शिक्षक बुरे साधनों का उपयोग करके वाइस-चांसलर क्यों न हो जाए? और एक दुकानदार बुरे साधनों का उपयोग करके करोड़पति क्यों न हो जाए?
‘राजनीति’ थर्मामीटर है पूरी जिंदगी का। वहां जो होता है, वह सब तरफ जिंदगी में होना शुरू हो जाता है। तो राजनीति में बुरा आदमी अगर है, तो जीवन के सभी क्षेत्रों में बुरा आदमी सफल होने लगेगा और अच्छा आदमी हारने लगेगा। आज इस देश में भला होना असफलता की पक्की ‘गारंटी’ है। राजनीति जितनी स्वस्थ हो, जीवन के सारे पहलू उतने ही स्वस्थ हो सकते हैं क्योंकि राजनीति के पास सबसे बड़ी ताकत है। ताकत अशुभ हो जाए तो फिर कमजोरों को अशुभ होने से नहीं रोका जा सकता।
सत्ता जिसके पास है, वह दिखायी पड़ता है पूरे मुल्क को। जाने-अनजाने हम उसकी नकल करना शुरू कर देते हैं। अंग्रेज हिंदुस्तान में सत्ता में थे, तो हमने उनके कपड़े पहनने शुरू किए। वह सत्ता की नकल थी। वे कपड़े भी गौरवपूर्ण, प्रतिष्ठापूर्ण मालूम पड़े। अगर अंग्रेज सत्ता में न होते और चीनी सत्ता में होते तो हमने चीनियों के कपड़े पहने होते।
जब एक बार अनुयायी को यह पता चल जाए कि सब नेता बेईमान हैं, तो अनुयायी को कितनी देर तक ईमानदार रखा जा सकता है। नहीं, अच्छे आदमी के तो आने से आमूल परिवर्तन हो जाएंगे। फिर अच्छे आदमी की बड़ी से बड़ी जो खूबी है, वह यह है कि वह कुर्सी को पकड़ नहीं लेगा। अच्छा आदमी कुर्सी की वजह से ऊंचा नहीं हो गया है। ऊंचा होने की वजह से कुर्सी पर बिठाया गया है। इस फर्क को हमें समझ लेना चाहिए। बुरा आदमी कुर्सी पर बैठने से ऊंचा हो गया है, वह कुर्सी छोड़ेगा, फिर नीचा हो जाएगा। तो बुरा आदमी कुर्सी नहीं छोड़ना चाहता है।