भारत के महापंजीयक (आरजीआई) के नमूना सर्वेक्षण के मुताबिक देश में अब भी एक साल से कम उम्र के बच्चों की सलाना मृत्यु दर 42 बनी हुई है। पैदा होने के बाद भी लड़कियों को लेकर समाज में मौजूदा भेदभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस उम्र के लड़कों के मुकाबले लड़कियों की मृत्यु दर तीन अंक ज्यादा पाई गई।
राज्यों में मध्य प्रदेश की हालत सबसे खराब है। सूबे में एक हजार में 56 बच्चे एक साल से पहले मौत का शिकार हो जाते हैं। असम (55) दूसरे और उत्तर प्रदेश (53) तीसरे स्थान पर बना हुआ है। बिहार एक साल पहले जहां राष्ट्रीय औसत के साथ खड़ा था, इस बार वहां मौतों का औसत राष्ट्रीय औसत से भी एक ज्यादा यानी 43 रहा। एमडीजी जक्ष्य की समय सीमा में सिर्फ तीन साल बाकी हैं। इसे हासिल करने के लिए शिशु मृत्यु दर में अगले तीन साल में 14 अंक की कमी होनी चाहिए।