नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकपाल सर्च कमिटी के नए नियमों को अधिसूचित कर दिया है जिसमें उसे कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की सूची के बाहर से भी भ्रष्टाचार निरोधक इस निकाय के अध्यक्ष और सदस्यों के नाम सुझाने की स्वतंत्रता दी गई है।
पूर्व में यूपीए सरकार के समय बनाये गए नियमों में सर्च कमिटी को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा दी गई सूची में से ही लोकपाल के अध्यक्ष एवं सदस्यों के रूप में नियुक्त किये जाने वाले लोगों के नामों के सुझाव प्रधानमंत्री नीत चयन समिति के विचारार्थ देने का प्रावधान था।
नये नियमों में सरकार ने उन प्रतिबंधों को हटा दिया है जिसमें सर्च कमिटी (खोज समिति) को डीओपीटी की ओर से दी गई सूची से ही लोकपाल के नाम की सिफारिश करने की बात कही गई थी। नियमों के अनुसार, केंद्र सरकार, सर्च कमिटी को जरूरत पड़ने पर अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्रभावी ढंग से काम करने में मदद कर सकती है। सरकार ने सर्च कमिटी के सदस्यों की संख्या को आठ से घटाकर सात कर दिया है।
डीओपीटी की ओर से अधिसूचित नियमों के अनुसार, ‘सर्च कमिटी लोगों के नामों को छांटने के उद्देश्य से ऐसे मानदंड अपना सकती है जिसे वह उपयुक्त मानती हो। नये नियमों में कहा गया है कि, ‘इससे उन शब्दों को हटा दिया गया है जिसमें केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से मुहैया करायी गई लोगों की सूची से का जिक्र है।
नियमों के अनुसार, सर्च कमिटी में अब कम से कम सात सदस्य होंगे और उन्हें भ्रष्टाचार निरोधक, लोक प्रशासन और सतर्कता समेत अन्य विषयों के बारे में विशेष जानकारी होनी चाहिए। पूर्व के नियमों में सर्च कमिटी में आठ सदस्य होने की बात कही गई है और उसे चयन समिति के विचारार्थ लोगों के नामों की सूची तैयार करने का दायित्व दिया गया था। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सर्च कमिटी के नियमों में बदलाव के बाद सरकार लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ायेगी।
सरकार ने सर्च कमिटी को डीओपीटी की सूची मिलने के बाद उसमें से चयन समिति को नाम सुझाने के लिए 30 दिनों की समय सीमा को भी समाप्त कर दिया है। सर्च कमिटी लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों के नामों की सूची उस अवधि में पेश कर सकती है जो वह इसके लिए तय करती है।