नई दिल्ली: देश में वन क्षेत्र को बढ़ाने और इसकी स्थितियों में सुधार लाने के लिए संचालित किए जा रहे राष्ट्रीय हरित भारत मिशन को सरकार ने मनरेगा में समाहित कर दिया है। हरित भारत मिशन के तहत अगले एक दशक में एक करोड़ हेक्टेयर जमीन पर वनरोपण करने का लक्ष्य रखा गया है।
यहाँ मिशन की निगरानी के लिए रिमोट सेंसिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। गौरतलब है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संचालित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत फिलहाल जल संचय, वनरोपण और खेती जैसे हरित काम किए जाते हैं। वहीं वनक्षेत्र बढ़ाने के लिए ‘राष्ट्रीय हरित भारत अभियान’ पर्यावरण मंत्रालय द्वारा संचालित किया जा रहा है।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन प्रयासों को एकजुट करने और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंताओं के समाधान के लिए सरकार ने पर्यावरण एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श करके इनके विलय का निर्णय लिया है।
इस विलय के संबंध में पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, गांव की सामान्य भूमि, सामुदायिक भूमि, राजस्व के लिहाज से व्यर्थ पड़ी भूमि, झूम खेती के क्षेत्र, गीली भूमि और निजी कृषि भूमि सहित सभी जमीनें इस विलय के तहत वनरोपण के योग्य होंगी।
मनरेगा के तहत, पौधे लगाए जाने से पहले के काम, गढ्डा खोदना, पौधरोपण, सिंचाई, बाड़ बांधना, पौधों के सहारे और संरक्षण की गतिविधियां, खरपतवार हटाना, खराब घास हटाना और खाद डालने जैसे काम किए जा सकते हैं।
राज्य वन विकास एजेंसियां किसी क्षेत्र विशेष के लिए उपयुक्त पौधों के बारे में तकनीकी सलाह उपलब्ध करवाएंगी, नर्सरियां स्थापित करेंगी और हर ग्राम पंचायत को पौधों से जुड़ी जरूरी सामग्री हर साल जुलाई से पहले ही मनरेगा फंड के जरिये उपलब्ध करवाएंगी। दिशानिर्देशों में कहा गया कि मनरेगा के तहत फंड की कमी है, ऐसे में हरित भारत अभियान के फंड से धन लिया जा सकता है।