दिल्ली महिला आयोग के अनुसार विगत 16 दिसबंर को वसंत बिहार में प्रशिक्षु फिजियोथरेपिस्ट से चलती बस में हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद आयोग में हर माह आने वाली दुष्कर्म की शिकायतों की संख्या औसत 120 से बढ़कर 240 तक पहुंच गई है। मामला तब और भी गंभीर हो जाता है जब यह सामने आता है कि दुष्कर्म की शिकार पीडि़ताओं में करीब 40 फीसदी नाबालिक हैं, जबकि 13 से 18 वर्ष आयुवर्ग की किशोरियों के साथ दुष्कर्म के मामले बढ़े हैं।
दिल्ली में दुष्कर्म के बढ़ते मामले दर्शातें हैं कि वसंत विहार कांड के बाद यहां महिलाओं की सुरक्षा अब भी एक बड़ी चुनौति बनी हुई है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए किए गए दावे खोखले निकले या जो उपाय किए गए वे प्रभावी साबित नहीं हुए। लिहाजा महिलाओं की सुरक्षा के लिए दिल्ली सरकार और पुलिस को नए सिरे से रणनीति बनानी चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं कि अपराधियों में पुलिस का खौफ न होना महिलाओं के खिलाफ अपराध को बढ़ावा दे रहा है।
सबसे पहले इस स्थिति में सुधार किए जाने की आवश्यकता है। पुलिस को अधिक अनुशासित, जवाबदेह और संवेदनशील बनाया जाना चाहिए। अपराधियों में पुलिस का खौफ पैदा होने पर अपराध में खद-ब-खुद कमी हाने लगेगी। पुलिस को चाहिए कि वे महिलाओं के खिलाफ अपराध के किसी भी मामले को तत्काल दर्ज कर उस पर कार्रवाई शुरू करे। इससे जहां पीडि़ता को इंसाफ मिल सकेगा। वहीं अपराधी को उसकी सही जगह सलाखों के पीछे पहुंचाया जा सकेगा। महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध की समस्या का हल पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार करना है और इसे समयबद्ध तरीके से प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए।