अगर हम दिल्ली के विकास की बात करें तो पिछले 14 सालों में भले ही दिल्ली की शीला सरकार आए दिन विकास की बात कर रही हो लेकिन केन्द्र सरकार का यह कहना है कि दिल्ली की संस्थाएं परियोजनाओं पर बहुत धीमी गति से काम कर रही है और इसी धीमी गति के कारण दिल्ली में 2,000 करोड़ रूपये अटके हुए हैं। जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन के दौरान दिल्ली के लिए जो 23 परियोजनाओं पर काम करना तय हुआ था, जिसमें से अभी 13 ऐसे हैं, जो अब तक अधर में लटके हुए हैं। इनमें से बहुत से प्रोजेक्ट
अभी ऐसे हैं जिनकी डेडलाइन ही मार्च 2014 तक है। इनमें कुछ परियोजनाएं एमसीडी की भी शामिल है।
दिल्ली के लिए इन परियोजनाओं को टाइम पर पूरा करना बहुत जरूरी है। केन्द्र सरकार ने कहा है कि अगर ये परियोजनाएं मार्च 2014 तक पूरे नहीं होते और इनमें देरी होती है तो केन्द्र सरकार इसके लिए सहायता तो नहीं ही देगी, जो पैसा दिया गया है, उसे भी राज्य सरकारों से ब्याज के साथ वसूल करेगी।
शहरी विकास मंत्रालय के सूत्रों कि माने तो जिन परियोजनाओं का अभी 50 फीसदी से भी कम काम पूरा हुआ है, जिसके कारण आने वाले दिनों में इस काम में परेशानियाँ आ सकती हैं। शहरी विकास मंत्रालय के सचिव ने भी यह कह दिया है कि यदि 31 मार्च 2014 तक परियोजनाएं पूरी नहीं होतीं है तो न सिर्फ इन परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार पैसा रोक देगी बल्कि जो पैसा दिया है, वह भी केंद्र सरकार ब्याज सहित वापस ले लेगी।
2005 में शुरू हुई जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन के तहत दिल्ली के विकास से जुड़ी परिजनाओं के लिए 35 फीसदी रकम देती है। इसके तहत ही दिल्ली के लिए कुछ बसें भी खरीदी गई थीं। पिछले महीने ही जेएनएनयूआरएम(JNNURM) से जुड़ी परियोजनाओं को लेकर शहरी विकास मंत्रालय में बैठकें हुई थी। इनमें से एक बैठक में जेएनएनयूआरएम(JNNURM) से संबंधित जाइंट सेक्रेटरी ने दिल्ली सरकार से यह कहा है कि परियोजनाओं के काम को तेज रफ्तार दिया जाए।