साधारण भाषा में लोग हेपेटाइटिस(Hepatitis) को पीलिया (जॉन्डिस) भी कहते हैं, परन्तु दोनों के मध्य फर्क होता है। पीलिया का सूचक है आंखों में पीलापन का आना, जो रक्त में बिलिरूबिन नामक तत्व के बढ़ने से होता है। पीलिया, हेपेटाइटिस(Hepatitis) के अलावा कुछ और कारणों से भी हो सकता है, जैसे शरीर में रक्त कोशिकाओं का तेजी से टूटना जिसे एनीमिया या खून की कमी कहते हैं।
एक और कारण है, लिवर से निकलने वाले पित्त (बाइल) में रूकावट आना जैसे स्टोन या ट्यूमर से पित्त नली में रूकावट पैदा होती है।
रोग का कारणः-
हेपेटाइटिस(Hepatitis) A और E दूषित खाद्य व पेय पदार्थों के के सेवन से होता है। एक बीमार व्यक्ति के मल में ये वायरस पाए जाते है। साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखने से ये वायरस खाने-पीने की चीजों को दूषित कर देते हैं और इससे ये दूसरे व्यक्तियों को संक्रमित कर देते हैं। कभी-कभी बड़े स्तर पर महामारी जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
रोग के लक्षणः-
1. आंखों में और शरीर में पीलापन आना।
2. बुखार आना और उल्टी होना।
3. भूख कम लगना।
4. पेट के ऊपर वाले भाग में दर्द होना।
5. पेशाब का रंग गहरा पीला होना।
6. खुजली होना।
7. कभी-कभी मल का रेग हल्का सफेद होना।
8. पेट में सूजन आना।
रोग की जटिलताएं:-
अगर सही समय पर ध्यान न दिया जाए तो 2-3 प्रतिशत रोगियों में लिवर फेल्यर हो जाता है। यह स्थिति दुर्भाग्यवश जानलेपा भी हो सकती है।
रोग का उपचारः-
जैसा कि वाइरस से होने वाली बीमारियों में होता है, हेपेटाइटिस(Hepatitis) का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है। वाइरस को खत्म करने वाली दवाओं (एंटीवाइरस) से भी यह खत्म नहीं होता है। इस रोग का वाइरस शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने से ही खत्म होता है। पर शरीर को वाइरस से बेहतर मुकाबला करने के लिए हम कुछ सहायक उपाय अपना सकते हैं।
1. आराम करना। ज्यादा शारीरिक कार्य करने से स्वास्थ्य लाभ धीरे-धीरे होता है। इसलिए ज्यादा काम करने से बचें। हालांकि घर में आप हल्के कार्य कर सकते हैं।
2. तरल पदार्थों का पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिए।
3. डॉक्टर की सलाह से दवाएं लेना चाहिए।
4. झाड़-भूंक के चक्कर में न पड़ें।
5. छेशी भस्म लेने से बचें। इससे नुकसान हो सकता है।
6. गन्ने का रस का प्रयोगा न करके नारियल पानी, घर मे बना नीबू पानी और लस्सी जैसे तरल पदार्थों का सेवन करें।
टीकारण का रखे ध्यानः-
हेपेटाइटिस(Hepatitis) A से बचने का एक सबसे अच्छा तरीका है- टीकाकरण (वैक्सीनेशन)। इसे बचपन से लेकर कभी भी लगवाया जा सकता है। टीके की 2 डोज होती है, जो एक महीने के अंतराल पर लगती है। हेपेटाटिस E के लिए अभी तक कोई टीका नहीं बना है। आप अगर उपर्युक्त बातों का ध्यान रखें, तो हेपेटाइटिस(Hepatitis) को भी मात दे सकते हैं।
रोग के रोकथाम के उपायः-
1. साफ पानी का इस्तेमाल करें। अगर पानी स्वच्छ न हो, तो उसे उबालकर ठंडा कर लें। यह पानी से होने वाली सभी बीमारियों से बचाव का सबसे कारगर तरीका है।
2. वाटर प्यूरीफायर का उपयोग भी ठीक रहता है, लेकिन इसका उपयोग करने के दौरान समय-समय पर सर्विस जरूर करवाते रहें, नहीं तो वाटर प्यूरीफायर का पानी भी दूषित हो सकता है।
3. बाहर रखे कटे हुए फल व सब्जियां कभी न खाएं।
4. खाद्य पदार्थों को ढक कर रखें।
5. खाने से पहले और शौच के बाद हाथ अच्छे से जरूर धोएं।