हिमाचल प्रदेश : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय छात्रों को उच्च शिक्षा देने का सपना तो दिखा रहा है, लेकिन यहां पर पिछले कई सालों से शिक्षकों के 232 पद खाली चल रहे हैं। यूनिवर्सिटी में कई ऐसे विभाग है, जहां पर एक ही शिक्षक पांच से छह कक्षाएं लगा रहे है। इससे जहां शिक्षा की गुणवता पर सवाल उठ रहे है, वहीं छात्रों की कक्षाएं भी समय पर नहीं लग रही है। प्रशासन की ओर से गेस्ट फेकल्टी के आधार पर भी कक्षाएं लगाई जा रही हैं, लेकिन इससे भी छात्रों की कक्षाएं नहीं लग रही है।
हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग में सुविधाओं की कमी के कारण छात्रों को सफर करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हिंदी विभाग में आलम यह है कि यहां लगभग दो सौ छात्रों को पढ़ाने के लिए सिर्फ एक ही प्रोफेसर है। वह विभागाध्यक्ष का काम भी देख रही हैं, साथ ही छात्रों की कक्षाएं भी लगा रही है। इसके अलावा लॉ विभाग, जर्नलिज्म, संगीत विभाग में भी रिक्त पदों के चलते छात्रों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
हिंदी की अनदेखी से छात्रों में रोष व्याप्त है। हिंदी विभाग में प्रोफेसरों के 14 पद स्वीकृत है, जबकि यहां पर सिर्फ एक ही पद भरा हुआ है, बाकी सारे पद खाली पड़े हुए है। इस कारण छात्रों की कक्षाएं न लगने से उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है। हिंदी विभाग में वर्तमान में एमए हिंदी, एमए ट्रांसलेशन, एमफिल की कक्षाएं लगती है। इसके अलावा हिंदी में पीएचडी करने वाले छात्र भी अपनी कक्षाएं लगवाते है। एक कक्षा की बारी तीन दिन छोड़कर आती है, ऐसे में छात्रों को हर रोज कक्षाएं लगाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। शाम तक आठ से अधिक कक्षाएं लगती है।
पत्रकारिता विभाग दो प्रोफेसरों के भरोसे है। विभाग में एक तो एचओडी है, एक प्रोफेसर है। यहां पर मएमसी और पीजीडीएमसी के एक समेस्टर में 55 छात्र पढ़ाई करते हैं। दूसरे और तीसरे सेमेस्टर को मिलाकर छात्र 150 से ऊपर हैं। ऐसे में दो शिक्षकों के रिक्त पदों के चलते समय पर न तो छात्रों के प्रेक्टिकल वर्क होते है और न ही कक्षाएं लगती है। विभाग में लैब की सुविधा भी नहीं है। नया भवन तो बना गया है, लेकिन इसमें अभी शिफ्ट नहीं हुए है।
संगीत विभाग में सिर्फ तीन प्राध्यापक मौजूद है, जिसमें एक विभागाध्यक्ष है। संगीत विभाग के पहले सेमेस्टर में 45 से अधिक छात्र पढ़ाई करते हैं। दूसरे और तीसरे सेमेस्टर, एमफिल और पीएचडी स्कॉलर की संख्या मिलाकर दो सौ से अधिक है। यदि कोई शिक्षक अवकाश पर चला जाए तो कक्षाएं लगाना मुश्किल होता है। यहां पर रिक्त पदों को भरने के लिए कोई प्रयास नहीं हुआ है। ऐसे में संगीत में शिक्षा लेने वाले छात्रों का भविष्य अधर में लटका है।
रिक्त पदों को भरने के लिए कोई दिक्कत नहीं आ रही है। आचार संहिता के बाद रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जिन विभागों में सबसे ज्यादा दिक्कत है, वहां पहले पद भरे जाएंगे। शिक्षा की गुणवता को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। हम छात्रों को गुणात्मक शिक्षा देने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं।
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