प्रधानमंत्री को भेजो पोस्टकार्ड अभियान के नेतृत्व करने वाले प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि अबतक सूबे के हजारों की संख्या में भूमिहीनों ने पोस्टकार्ड पर दुखड़ा लिखकर भेजा है। इसके पहले सैकड़ों की संख्या में उत्साहपूर्वक भूमिहीन एकत्रित होते हैं। स्थानीय प्रखंड मुख्यालय के निकट वाले डाकघर के पास जाने के पहले रैली की शक्ल में लोग बढ़ते हैं।
इस दौरान गगनचुम्बी नारा भी लगाते हैं। आवासीय भूमिहीनों को दस डिसमिल जमीन देना होगा, प्रधानमंत्री आगरा समझौता को लागू करों, तुम्हें आवास भूमि अधिकार कानून बनाना होगा, चुनाव मैदान में जाने के पहले राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को लागू करना होगा, आगे जमीन पीछे वोट नहीं जमीन तो नहीं वोट, आवासीय भूमि हमारा जन्मसिद्ध अधिकार, इसको लेकर रहेंगे।
विभिन्न जिलों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अरवल की राधिका देवी के नेतृत्व में 150 ,जमुई की मुनिया देवी के प्रयास से 75, मुजफ्फरपुर की रामशीला देवी ने 200, पूर्वी चम्पारण के हरिशंकर ने 500, पश्चिमी चम्पारण की ज्ञांति देवी ने 100 और सहरसा के संतोश सदा के नेतृत्व में 200 पोस्टकार्ड पोस्ट बॉक्स में डाले गये।
इस संदर्भ में एकता परिषद,बिहार संचालन समिति की सदस्य मंजू डुंगडुंग ने कहा कि भारत गांवों का देश है। जहां तक बिहार की बात है। तो लाखों की संख्या में महिलाओं के पास 1-2 धूर ही जमीन है। इसी अल्प जमीन के साथ परिवार में जीवन बसर कर रही हैं। महिला के परिवार के साथ सास-श्वसुर भी रहते हैं। यानी संयुक्त परिवार के पास रहने को काफी कम जमीन है। पूजा-पाठ,शौचालय,गृहवाटिका,आजीविका आदि के लिए जमीन ही नहीं है।
इसके आलोक में प्रसि़द्ध गांधीवादी विचारक पी.व्ही.राजगोपाल जी के नेतृत्व में जल-जंगल-जमीन की मांग को लेकर अहिंसात्मक आंदोलन संचालित है। जनादेश 2007 और जन सत्याग्रह 2012 में जन संगठनों के द्वारा की गयी मांगों को केन्द्रीय सरकार अनदेखी कर रही है। यूपीए सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री को स्मरण करवाने के लिए पोस्टकार्ड भेजा जा रहा है।