नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना ने मंगलवार तड़के पाकिस्तान की सीमा में मिराज लड़ाकू विमानों से 1000 पौंड वजन के लेजर गाइडेड बम दागे। पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की रणनीति पुलवामा हमले के बाद ही बन गई थी। वायुसेना ने दस दिन की तैयारी के बाद मंगलवार तड़के बालाकोट, मुजफ्फराबाद और चकोटी में बम बरसाकर जैश ए मोहम्मद के सबसे बड़े अड्डे साफ कर दिए।
रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सेना के साथ मिलकर इस अभियान की रूपरेखा तैयार की थी। पुलवामा हमले के बाद ही जैश के आतंकी शिविर चिन्हित कर लिए गए थे। इस ऑपरेशन की खास बात यह रही है कि यह सिर्फ पीओके तक ही सीमित नहीं था, बल्कि वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तान के भीतर जाकर बालाकोट में आतंकी शिविर को नष्ट किया।
हमले से पहले ही मिली सटीक खुफिया जानकारी, आधुनिक संचार और हथियार प्रणाली की मदद से आतंकियों को चुन-चुनकर मारा गया। वायुसेना की इस कार्रवाई में जैश सरगना मसूद अजहर के भाई और साले सहित 25 शीर्ष कमांडर ढेर हो गए। हमले के वक्त शिविर में 350 से ज्यादा आतंकी मौजूद थे और इन सभी के मारे जाने की संभावना है।
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1) ग्वालियर से उड़े विमान
पुलवामा हमले के बाद से सतर्क पाकिस्तान भारत के सीमावर्ती वायुसेना ठिकानों पर नजर रख रहा था। ऐसे में हमले के लिए लड़ाकू विमानों ने सीमा से दूर ग्वालियर वायुसेना ठिकाने से उड़ान भरी। ऐसे में दुश्मन को पता ही नहीं चला कि उनकी मौत सीमा में दाखिल हो चुकी है।
2) जीबीयू-12 ने मलबे में बदला ठिकाना
अमेरिका में निर्मित निर्देश बम किट जीबीयू-12 पेववे लेजर बम से आतंकियों के ठिकाने को पलक झपकते मलबे में तब्दील कर दिया गया। जीपीएस प्रणाली से लैस यह बम लक्ष्य को भेदने के बाद फटता है, जिससे अधिक नुकसान होता है। लक्ष्य से बम के छिटकने की आशंका मात्र एक मीटर होती है।
3) मात्रा मैजिक क्लोज कॉम्बैट मिसाइल भी रहा साथ
माना जा रहा है कि इस मिशन में फ्रांस निर्मित मात्रा मैजिक क्लोज कॉम्बैट मिसाइल का इस्तेमाल किया गया है। इस मिसाइल को लड़ाकू विमान के डैनो में लगाया जाता है और यह विमान से अलग होकर स्वतंत्र कार्रवाई करता है। यह जहां पर गिरता है वहां पर 300 मीटर से लेकर 15 किलोमीटर तक के इलाके को तबाह कर देता है।
4) लिटेनिंग पॉड ने बताया लक्ष्य
मिराज में लगे लिटेनिंग पॉड ने लक्ष्य की सटीकता को सुनिश्चित किया। इस पॉड में आगे फॉरवर्ड लुकिंग इंफ्रारेड सेंसर लगे होते हैं। इसकी मदद से पायलट कॉकपिट में बैठक कर लक्ष्य का इंफ्रारेड तस्वीर देख सकता है और कार्रवाई कर सकता है। लेजर गाइडेड बम व मिसाइलों को निर्देशित करने के लिए इसमें लेजर डेजिनेटर लगे होते हैं।
5) ‘नेत्र’ बना एईडब्ल्यूसी जेट
हवा से ही मिशन को नियंत्रित करने और परिचालन के लिए पंजाब के बठिंडा से नेत्र एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग जेट (एईडब्लयूसी जेट) को रवाना किया। इसकी खासियत होती है कि जेट के ऊपर ही रडार लगे होते हैं, जो दुश्मन के विमान और अपने विमान के बीच अंतर को पहचानता है और खतरा होने पर पायलट को कार्रवाई करने का निर्देश देता है। यह तीन लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में एक साथ नजर रख सकता है। 9000 मीटर की ऊंचाई पर उड़ रहे विमान की भी पहचान कर सकता है।
6) ईंधन के लिए इल्यूशिन-78एम
मिराज ने ग्वालियर से उड़ान भरी थी। ऐसे में एलओसी तक पहुंचते-पहुंचते लड़ाकू विमान का काफी ईंधन खर्च हो चुका था। इसके मद्देनजर हवा में ही लड़ाकू विमानों में ईंधन भरने के लिए आगरा से इल्यूशिन-78 एम को रवाना किया गया। ताकि टैंक फूल कर लड़ाकू विमान दुश्मन की सीमा में दाखिल हों।
7) हेरॉन ड्रोन
वास्तविक समय में आतंकी ठिकाने की स्थिति को आंकने के लिए भारतीय सेना अज्ञात स्थल से हेरॉन ड्रोन के माध्यम से निगरानी कर रही थी। इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने डिजाइन किया है। यह ड्रोन करीब साढ़े दस किलोमीटर की ऊंचाई पर लगातार 52 घंटे तक उड़ान भरकर दुश्मन की स्थिति का पता लगा सकता है।
उपग्रह बनी तीसरी आंख
हमले से पहले उपग्रह से मिली तस्वीरों से यह सुनिश्चित किया गया कि यहां आतंकियों की गतिविधियां चल रही हैं। सुरक्षा एजेंसी से कई वजहों से बालाकोट को निशाना बनाया। सबसे बड़ी वजह थी कि यह सबसे बड़ा आतंकी कैंप था और पाक अधिकृत कश्मीर में नहीं बल्कि पाकिस्तान के सूबे खैबर पख्तूनख्वा का हिस्सा है। इसके जरिये भारत ने संदेश दिया कि वह पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को मार गिराएगा।
तीन लक्ष्य तय किए
– 160 किलोमीटर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से दूर बालाकोट, जो खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मनशेरा जिले में है।
– पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद और चकोटी यहीं से आंतकियों को भारत में घुसपैठ कराया जाता है।
13 लक्ष्य खंगाले गए थे
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पाक अधिकृत कश्मीर स्थित 13 आतंकी ठिकानों की जांच की थी। ये थे केल, शरदी, दुधमियाल, अथमुकाम, जुरा,लीपा,पिचबल, चाम,फवाद कठुआ, कटली, लाजोत, निकियाल, मंधार। यहां पर जैश के आतंकी कैंप चल रहे थे। लेकिन सुरक्षाबलों को आशंका थी कि संभावित हमले के चलते आतंकी सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए हैं।
जानिये, बालाकोट क्यों था अहम:
50 किलोमीटर एलओसी से दूर बालाकोट आतंकी शिविर बालाकोट कस्बे से 20 किलोमीटर दूर घने जंगलों में कुनहर नदी के किनारे स्थित है। यहां पर 500 से 700 आतंकियों को रहने और सभी प्रकार की ट्रेनिंग देने की सुविधा है। परिसर में किसी पांच सितारा रिजॉर्ट की तरह स्वीमिंगपुल आदि थे। यहां पर हथियारों के साथ नदी के जरिये घुसपैठ आदि की ट्रेनिंग दी जाती थी। यहां पर पाक सेना के पूर्व अधिकारी आतंकियों को ट्रेनिंग देते थे और कई बार जैश सरगना मसूद अजहर और अन्य आतंकियों को यहां देखा गया है।