नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) द्वारा स्पेस की तरह,प्राकृतिक सम्पदा संरक्षण के मद्देनज़र तथा समूचे विश्व में हो रहे प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए”इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट” (ICIMOD)नामक ऑस्ट्रेलियाई संस्था भी इन दिनों पूरी दुनियाँ में वर्तमान वातावरण को लेकर, सक्रियता और सजगता की दिशा में काफी कार्य कर रही है,चाहे वह चाईना का माउंटेन डिजास्टर हो या फिर पडोसी राष्ट्र नेपाल का लैंडस्लाइडिंग व अर्थक्वेक,किसी भी प्राकृतिक आपदा में हुए वहां के जनजीवन में उथल-पुथल और जनसमस्या को अपने कार्य प्रणाली के माध्यम से बखूबी सामने लाकर दूर करने की ठोस पहल करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इस संस्था के डायरेक्टर जेनरल डॉ0 डेविड जेम्स मॉल्डेन जो की एन्वॉयरमेंट को लेकर,जाने-माने अनुभवी और प्रखर अनुसंधानकर्ता हैं,खासकर इन्होने इसी विषय पर ही 30 वर्ष तक बहुत बारीकि से शोध किया है।
”इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट” (ICIMOD)नामक इस ऑस्ट्रेलियाई संस्था में डॉ0 डेविड जेम्स वर्ष 2011के दिसंबर में आये थे,मात्र पांच वर्ष बीते नहीं कि,इन्होंने अपने कार्य-क्षमता और कुशलता से पूरी दुनियाँ को एक नई ऊर्जा दी है। सर्व-विदित है की,पडोसी राष्ट्र नेपाल के काठमांडू से सत्तर किलोमीटर आगे सिंधुपालचॉक अवस्थित वर्ष 2014 में जिस तरह से लैंडस्लाइडिंग हुई थी,उस वक़्त वहां अचानक पहाड़ के मलवे जमा होने से एक ओर जहाँ सुनकोशी नदी का रास्ता अवरुद्ध हो गया था,
वहीँ दूसरी ओर वर्ष 2015 को नेपाल के काठमांडू अवस्थित आये जोरदार भूकम्प ने नेपाल के जनजीवन को भी अस्त-व्यस्त कर दिया। ऐसे में जिस प्रकार भारतीय सहयोग अंतर्गत NDRF की टीम नेपाल को त्वरित सहयोग प्रदान करने में जुटी थी,उसी प्रकार ”इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट” (ICIMOD) के द्वारा भी नेपाल के उन पहाड़ियों में बसे लोगों के जनजीवन को सामान्य करने की दिशा में उसके अपने कार्य योजना के अंतर्गत इसी वर्ष 2016 के अप्रैल 5 से 10 को काठमांडू के हिमालया होटल से लेकर धुलिखेल रेशोर्ट्स,खुर्कोट,होटल चन्देश्वरी,नमो बुद्धा होटल,होटल गौतम,बर्दिबास के सिमरिक होटल होते हुए जनकपुर के सीता प्लेस तक उनके कार्यक्रम के एजेंडा को ”कोसी बेसिन प्रोग्राम”अंतर्गत जगह-जगह सांख्यिकी तरीके से एन्वॉयरमेंट और डिजास्टर को लेकर अनुशन्धानिक तरीके का एक एजुकेशनल वर्कशॉप रखा गया,जिसके लिए सीमावर्ती क्षेत्र नेपाल,भारत,चाईना,भूटान,बांग्लादेश के वरिष्ठ और डिजास्टर जैसे विषय पर समाचार संकलन व समीक्षात्मक लेख लिखने वाले अनुभवी अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों को विशेष रूप से प्रतिभागी के रूप में आमंत्रित किया गया था।
”इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट” (ICIMOD) के इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य, खास कर सिंधुपालचॉक में हुए उस लैंडस्लाइडिंग की वजह से उत्पन्न तमाम उन जनसमस्याओं को लेकर था,जिसकी जानकारी पूरी दुनियां को इन्ही अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों के माध्यम से देनी थी। हांलाकि इस संस्था के डायरेक्टर जेनरल डॉ0 डेविड जेम्स मॉल्डेन के दिशा-निर्देशानुसार ”इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट” (ICIMOD) काठमांडू नेपाल के करीब 21 लोगों ने इस संस्था की सिनियर कम्युनिकेशन ऑफिसर मेस नीरा गुरुंग ,प्रोग्राम एसोसिएट गोविंदा श्रेष्ठ, इकनोमिक एनालिस्ट नीलहरि नेउपने,प्रोग्राम कंसलटेंट पूर्णहरि अमात्य,कम्युनिकेशन स्पैशलिस्ट मैनेजमेंट गोपीलाल आचार्य,प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर डॉ0शाहीरियर वाहिद,मीडिया एंड डिसमिनेशन ऑफिसर मिस सुदिना शाक्या, के नेतृत्व में कार्यक्रम को मुख्य रूप से संपन्न करा कर,जनसमस्याओं के कई समीक्षात्मक पहलुओं को मानस पटल पर विचार हेतु सजगता प्रदान किया है।
हांलाकि ”इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट” (ICIMOD) ऑस्ट्रलिया ,नेपाल वाटर कंज़र्वेशन फॉउंडेशन तथा एसियन हाइलैंड HELVETAS के कई और बड़े-बड़े अधिकारियों में मुख्य रूप से प्रोग्राम मैनेजर आंजा मोलर रस्मुस्सेन,अरुण भक्त श्रेष्ठ,बिक्रम राणा,देवराज गुरुंग,दीपक ज्ञवाली,एकलव्य शर्मा,गंगा राज लुइटेल,हर्षाना श्रेष्ठ,जॉर्ज मर्ज़,कंचन श्रेष्ठ,नरेश नेवार,नरेंद्र भोजरचार्य,नीरा श्रेष्ठ प्रधान,प्रभु एन चौधरी,रॉबिन निरौला,सागर भोजरचार्य,समदेन लामा,संतोष नेपाल,तथा सुंदर राइ सरीके के लोगों ने अपनी सहभागिता निभाई,जिसके अंतर्गत एक ओर जहाँ पहाड़ पर बसे लोगों को जीवन जीने के लिए पानी की सबसे बड़ी समस्या का समाधान निकालने हेतु जागरूक किया गया,वहीँ दूसरी ओर तराई क्षेत्र के नेपाली और भारतीय लोगों को सिचाई के लिए पानी के कमी को लेकर उसकी वैकल्पित वयवस्था पर भी विशेष विचार-विमर्श किया गया। ऐसे में नेपाल सरकार को चाहिए कि,वह भारत के साथ समन्वय स्थापित कर”इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट” (ICIMOD) के इस महत्व्पूर्ण लक्ष्य पर अपना सहयोग प्रदान कर इस योजना को साकार करें।
(पंकज कुमार रणजीत, संवाददाता “भारत-नेपाल सीमा” )