नई दिल्ली : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है, जिससे पता लगाया जा सकेगा कि ग्लेशियर पिघलने से दुनिया के किन शहरों पर बाढ़ का खतरा सबसे ज्यादा होगा। यह उपकरण धरती के घूमने और गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव को देखते हुए भविष्यवाणी करेगा कि ग्लोबल वार्मिंग से ग्लेशियर पिघलने पर किस तटीय शहर में समुद्र का कितना पानी जाएगा। इससे आने वाली चुनौतियों के प्रति सतर्क हुआ जा सकता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, ग्रेडिअंट फिंगरप्रिंट मैपिंग नाम का यह उपकरण हर शहर के हिसाब से भविष्यवाणी करने में सक्षम होगा। नासा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एरिक इविन्स ने कहा कि सभी देश बाढ़ से बचने की योजना बनाते हैं। वे भविष्य में 100 साल आगे की सोच रहे होंगे और उसी तरह चीजों का आकलन करना चाहेंगे जैसा बीमा कंपनियां करती हैं। यह हमारे लिए बहुत फायदेमंद है।
उन्होंने दावा किया कि यह टूल किसी भी तटीय शहर के लिए खतरे के स्तर का सटीक अनुमान लगा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ग्रीनलैंड में ग्लेशियर पिघलने से लंदन पर काफी असर पड़ेगा। उत्तरी और पूर्वी हिस्से में ग्लेशियर पिघलना न्यूयॉर्क के लिए भी चिंता की बात होगी।