नई दिल्ली : बैंकों में 20 जनवरी से नए चार्ज लागू होने जा रहे हैं। सभी चार्ज ऐसे हैं जो ऑटो डेबिट हो जाएंगे। यानी संबंधित सर्विस लेते ही सीधे आपके अकाउंट से पैसा कट जाएगा। यह GST के साथ कटेगा। जानिए कि आपको किस सर्विस का कितना चार्ज आपको देना होगा। यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार है।
आपको बता दें कि अब बैंक में कोई भी सर्विस फ्री नहीं रह जाएगी। बैंकों से पैसा निकाना हो, जमा करना हो, चेक लगाना हो या केवाईसी करना हो। यहां तक की पासबुक अपडेट करवाने पर भी आपको बैंक को चार्ज देना होगा। यही नहीं यदि आप मोबाइल नंबर अपडेट करवाते हैं तो इसका भी चार्ज लगेगा।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब ग्राहकों को बेहतर एवं आधुनिक सुविधा देने के लिए नवीन तकनीक अपना रहे हैं, जिनमें ग्राहक अपनी पासबुक में लेनदेन का पूरा ब्यौरा खुद दर्ज कर सकते हैं। बैंक शाखाओं में ऐसी सॉफ्टवेयर वाली कंप्यूटरीकृत मशीनें लग रहीं हैं, जहां ग्राहक खुद पासबुक अपडेट करने के साथ साथ पैसा जमा करने, निकालने सहित विभिन्न सेवाओं को अपेक्षाकृत थोड़े समय में ही हासिल कर सकते हैं। बैंकों का यह मानना है कि ऐसी आधुनिक सुविधाओं से जहां एक तरफ ग्राहकों को फायदा मिलेगा, वहीं दूसरी तरफ बैंकों की लागत भी कम होगी।
बता दें कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया ने इसकी शुरुआत करते हुए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई तथा अहमदाबाद में ऐसी सुविधाओं वाली कुछ अत्याधुनिक शाखाएं खोली हैं। राष्ट्रीय राजधानी में करोलबाग और द्वारका समेत चार स्थानों पर ऐसी शाखाएं खोलीं गई हैं।
बैंक ऑफ इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, बैंक ने फिलहाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र समेत चारों महानगरों एवं अहमदाबाद में अत्याधुनिक शाखाएं खोली हैं। ‘भविष्य की बैंक शाखाएं’ नाम की इन शाखाओं में ऐसी मशीनें लगी हैं, जहां ग्राहक स्वयं पासबुक अपडेट कर सकते हैं। इनमें बैंकिंग कामकाज निपटाने में ज्यादा समय नहीं लगता।
परियोजना के पहले चरण में बैंक ने सितंबर तक देश भर में ऐसी 100 शाखाएं खोलने का लक्ष्य रखा है। वरिष्ठ प्रबंधक स्तर के इस अधिकारी ने यह भी कहा कि आने वाले समय में बैंक के एटीएम के पास ऐसी मशीन लगाई जाएंगी, जिससे ग्राहक जब चाहें अपने अपनी सुविधा से बैंक पासबुक में लेनदेन का पूरा ब्यौरा दर्ज कर सकेंगे।
बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी ने कहा कि जिन शाखाओं में ऐसी मशीनें लगीं हैं और ग्राहकों के लिए बेहतर सुविधायें उपलब्ध कराई गईं हैं, उनमें खाता खोलने की संख्या बढ़ गई है। अधिकारी ने यह भी कहा, इस तरह की मशीनें लगने से बैंकों की लागत भी काफी कम होगी।
बैंक को एक कर्मचारी पर औसतन हर महीने 50 हजार रुपये खर्च आता है, जबकि मशीन की लागत 1.5 लाख रुपये तक है और इसके रखरखाव पर 5,000 का मासिक खर्च होगा। ऐसे में मशीन पर सालाना खर्च 2.10 लाख रुपये आएगा, जबकि कर्मचारी पर औसतन 6 लाख रुपये खर्च होता है।
बैंकिंग ऑनली डॉटकॉम के प्रबंध निदेशक अमित कुमार के अनुसार बैंकों में आने वाली कुल शिकायतों में 40 प्रतिशत पासबुक अपडेट नहीं होने या स्टेटमेंट से जुड़ी होती हैं। ऐसे में इस प्रकार की तकनीक से इस प्रकार की शिकायतें कम होंगी।
बैंक शाखाओं को आधुनिक रूप दिए जाने के मामले में बैंक अधिकारी ने बताया कि इसके तहत कर्मचारियों की बैठने की जगह 80 प्रतिशत से घटाकर 20 से 40 प्रतिशत तक कर दी गई है, जबकि ग्राहकों के लिए स्थान मौजूदा 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 से 80 प्रतिशत तक किया गया है।
इससे ग्राहकों को शाखा में आने और बैठने की पूरी व्यवस्था होगी तथा उन्हें अपना काम करवाने में आसानी महसूस होगी। इसके अलावा इस प्रकार की शाखाओं में कतार प्रबंधन प्रणाली भी अपनाई गई है, ताकि किसी भी ग्राहक को अपने काम में ज्यादा वक्त नहीं लगे।