भोपाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भोपाल में आयोजित शौर्य सम्मान सभा में अपना भाषण संपन्न किया। मोदी 29 सितंबर को हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पहली बार सैनिकों से जुड़े किसी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। जिसमे मोदी ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बाते की।तो आइये जानते है मोदी के भाषण की कुछ महत्वपूर्ण बाते :
बोले PM -सेना बोलती नहीं पराक्रम करती है
मोदी ने भाषण में कहा कि सेना बोलती नहीं, पराक्रम दिखाती है। मोदी ने इशारों-इशारों में सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर कहा कि पिछले दिनों हुई घटना (उरी में आतंकी हमला) के बाद हर कोई मेरे बाल नोच रहा था कि मोदी सो रहा है, कुछ नहीं कर रहा। जैसे सेना नहीं बोलती, वैसे ही रक्षा मंत्री नहीं बोलते और उन्होंने करके दिखा दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सैनिकों को सिर्फ युद्ध से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। हमारे सैनिकों ने दुनियाभर में मानवता की मिसाल पैदा की है। उनकी मानवता ने कश्मीर की बाढ़ में यह नहीं देखा कि ये वही लोग हैं जो कभी पत्थर मारते हैं, कभी आंख फोड़ते हैं। यमन में जब हमारे सैनिक अपने देश के नागरिकों को बचा रहे थे तो उन्होंने पाकिस्तान के लोगों को भी बचाया।
हमारे रक्षा मंत्री भी नहीं बोलते हैं
भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सेना के पास शस्त्र से ताकत नहीं आती। सेना का सबसे बड़ा शस्त्र उसका मनोबल होता है। सवा सौ करोड़ देशवासियों का साथ मिलने से सेना का भी मनोबल बढ़ता है। सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र किए बिना प्रधानमंत्री ने कहा कि सेना बोलती नहीं पराक्रम करती है। उन्होंने कहा कि हमारे रक्षा मंत्री भी बोलते नहीं हैं। रोज हमारे बाल नोचे जाते थे कि मोदी कुछ बोलता नहीं।
हर संकट में सेना हमारे साथ
देश के अंदर जब कभी विषम हालात हुए भारतीय सेना ने अपने कर्तव्य का बखूबी निर्वाह किया। प्राकृतिक संकट में हर वक्त सेना हमारे साथ खड़ी रही। प्रधानमंत्री ने केदारनाथ आपदा का जिक्र करते हुए कि भीषण आपदा की हालत में सेना ने लोगों तक राहत पहुंचाई और जान बचाने का काम किया।
श्रीनगर में पत्थर मारनेवालों को भी सेना ने बचाया
प्रधानमंत्री ने श्रीनगर में आई बाढ़ का जिक्र करते हुए कहा कि उस भयंकर बाढ़ में सेना के जवानों ने लोगों को बचाने में अपने-आप को खपा दिया। सेना ने लोगों को बचाने में कभी यह नहीं सोचा हम जिन लोगों को बचा रहें ये कभी हमपर पत्थर मारते हैं। आंखें फोड़ देते हैं.. सर फोड़ देते हैं… लेकिन सेना ने मानवता की ललकार सुनी और इन लोगों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अपनी जान पर खेलते हुए श्रीनगर के लोगों को बचाने का काम किया।
हमारी चैन की नींद से सेना को संतोष मिलता है
सीमा पर हमारे जवान इसलिए अपनी जवानी खपा देते हैं ताकि हम चैन की नींद सो सकें। हमारे चैन की नींद से हमारी सेना को संतोष मिलता है। हमारे सोने पर उसके शिकायत नहीं होती लेकिन हम जागने के समय भी अगर सो जाते हैं तो यह शिकायत की बात है। वेदों में कहा गया है सतत जागते रहो। हमें भी जागने के समय जागते रहना होगा।
पाक नागरिकों को भी सेना ने बचाने का काम किया
पूरी दुनिया में भारतीय सेना का कोई मुकाबला नहीं, विश्व में शांति के लिए जुटे शांति सैनिकों में सबसे ज्यादा सैनिक भारत के हैं। नैतिकता की धरातल पर भारतीय सेना ने पूरी दुनिया को जीतने का काम किया है। गल्फ के देशों में जब संकट पैदा हुआ तो भारतीय सेना ने भारतीय लोगों के साथ-साथ दुनिया के अन्य देशों के लोगों की जान बचाने का काम किया। यहां तक कि पाकिस्तान के लोगों को भी बचाकर लाने का काम भारतीय सेना ने किया। भारत ने कभी जमीन के लिए युद्ध नहीं किया। जीवन-मरण की जंग हुई तो भारतीय सेना कभी पीछे नहीं हटी। पहले और दूसरे विश्व युद्ध में डेढ़ लाख सैनिकों ने बलिदान दिया।
रामधारी सिंह दिनकर और माखनलाल चतुर्वेदी की कविता पढ़ी
पीएम ने कहा शौर्य स्मारक हमारे लिए तीर्थ है। लोग हमारे सैनिकों की जिंदगी से प्रेरणा लेंगे। कवियों ने भी वीर सैनिकों पर काफी कुछ लिखा। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी की कविता का जिक्र करते हुए कहा- मुझे तोड़ लेना तुम वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक, मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक।
रामधारी सिंह दिनकर की कविता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा- कलम आज उनकी जय बोल.. जला अस्थियां बारी-बारी.. छिटकाई जिनने चिंगारी…. चढ़ गए जो पुण्यवेदी पर… लिए बिना गर्दन का मोल… कलम आज उनकी जय बोल
तालियों के साथ करें सैनिकों का सम्मान
विदेशों में लोग सैनिकों का काफी सम्मान करते हैं। सैनिक जहां से भी गुजरते हैं लोग खड़े हो जाते हैं तालियों के साथ उनका स्वागत करते हैं। प्रधानमंत्री ने लोगों से सवाल किया कि क्या हम अपने देश में यह स्वभाव बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि चौबिसों घंटे उनके प्रति आदर और भक्तिभाव रहना चाहिए। फौजियों को आते-जाते देखें तो तालियों से उनका स्वागत करें। फौजी के जीवन पर इसका सबसे बड़ा प्रभाव होता है। प्रधानमंत्री कहा कि शौर्य स्मारक आनेवाली पीढ़ियों को संस्कारित करने का ओपन स्कूल है।
वन रैंक वन पेंशन का वादा पूरा किया
वन रैंक वन पेंशन का वादा पूरा किया। इसे चार किस्त में देने का फैसला किया है। सरकार पर भारी आर्थिक बोझ है। साढ़े पांच हजार करोड़ वितरित हो चुके हैं।
सातवां पे कमिशन ने कहा है कि छठे पे कमीशन से 2.75 गुना बढ़ाया जाए। लेकिन हमने कहा कि छठे पे कमिशन के आधार पर फौज को कम फायदा होगा। ओआरओपी के आधार पर सेवंथ पे कमिशन मिलेगा। इससे ज्यादा फायदा होगा।