गया जिले के बोधगया प्रखंड के मोचारिम ग्राम पंचायत के मोचारिम मुसहरी के लोगों ने बताया कि सवश्री रामपति मांझी के पुत्र राजेश मांझी को 3 डिसमिल, विफा मांझी के पुत्र राजेन्द्र मांझी को 4 डिसमिल,दुःखन मांझी के पुत्र रामटहल मांझी को 3 डिसमिल,झगरू मांझी के पुत्र बच्चू मांझी को 4 डिसमिल, अर्जुन मांझी के पुत्र शंकर मांझी को 4 डिसमिल,जागो मांझी के पुत्र कामेश्वर मांझी को 3 डिसमिल,आदित्य चैधरी के पुत्र नरेश चैधरी को 4 डिसमिल, रामचन्द पासवान के पुत्र जगनारायण पासवान को 4 डिसमिल और पांच मांझी के पुत्र कुलेश्वर मांझी को 3 डिसमिल जमीन मिली है।
परवाना 2000-2001 में बना था। मगर 5 साल के बाद दलितों के बीच में परवाना वितरण किया गया। सरकार ने भूमि विहित षर्तों पर बन्दोबस्त की है। वार्षिक लगान देना होगा। लगान प्रति एकड़ 10 रू0 लिया जाएगा। बन्दोबस्त की गयी भूमि विरासत योग्य होगी परन्तु अन्तरणीय नहीं होगी। इसपर अनुमंडल अधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता और अंचल अधिकारी के हस्ताक्षर किया गया है।
जब 2000-2001 में बन्दोबस्त का परवाना दलितों को 2006 में जाकर वितरण किया गया। इसको पाकर दलित खुश हो गये। पहले लालू-राबड़ी सरकार का गुणगान किये। इसके बाद सुशासन बाबू के राज्यकर्मियों को धन्यवाद दिये कि लालफीताशाही के शिकार बन्दोबस्त का परवाना को आखिरकार दलितों के बीच में वितरण कर दिये। यह खशी बहुत दिन नहीं रही।
चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात की तरह हो गयी। जब परवानाधारी को पता चला कि उनके जमीन पर दबंग देवनन्दन महतो के पुत्र युगल किशोर प्रसाद और कपिल लाल के पुत्र राजू लाल ने कुडंलीमार कर बैठकर गये हैं। तो दलित हलकान और परशान हो उठे।
उसी समय से अंचल कार्यालय और राजस्व कर्मचारी के द्वार पर दस्तक देने लगे। मगर अंचल कार्यालय के अधिकारी दलितों को सहयोग करने के पक्ष में नहीं दिखे। इसके साथ दलितों के साथ कदमताल करने को तैयार नहीं हुए। रामटहल मांझी ने कहा कि हमलोगों को अधिकारी 2005 से आजतक टहला ही रहे हैं। आगे रामटहल मांझी ने कहा कि और अधिक नहीं टहल के मन बनाने के बाद हमलोगों ने 1 अगस्त, 2013 को गया जिले के जिला पदाधिकारी को आवेदन दिये हैं। सरकार के द्वारा वितरित परवाना की छायाप्रति संलग्न किये हैं।
इसमें सभी 9 परवानाधारी सर्वश्री राजेश मांझी, रामटहल मांझी, कामेष्वर मांझी, नरेश चैधरी, शंकर मांझी, बच्चू मांझी, कुलश्वर मांझी, जगनारायण पासवान और राजेन्द्र मांझी का हस्ताक्षर है। कृत मांझी का कहना है कि हाल में ही जमीन के अधिकार प्राप्त करने वाले कुलेश्वर मांझी का निधन हो गया है। कृत मांझी के पिता कुलेश्वर मांझी हैं। उनका निधन हो गया है। अब कृत मांझी ही अन्य दलितों के साथ दौड़धूप कर रहे हैं।
जिला पदाधिकारी को प्रेशित आवेदन पत्र में उल्लेख किया गया है। हम दलितों को कोई नहीं सुनता है। अंचल अधिकारी और राजस्व कर्मचारी,बोधगया को कई बार डिमाण्ड कायम एवं भूमि सीमांकन करने के लिए आवेदन दिये गये। परन्तु अभी तक न तो डिमाण्ड कायम किया और न ही सीमांकन किया। अभी फिलहाल उस जमीन को युगल किषोर प्रसाद पिता देवनन्दन महतो और राजू लाल पिता कपिल लाल के द्वारा जबरन जोत बरकरार है।
आवेदकों के द्वारा मांगी की गयी है कि दलितों की जमीन का सीमांकन एवं डिमाण्ड कायम करके अतिक्रमण करने वाले व्यक्ति से जमीन मुक्त कराके आवेदक परवानाधारी के हाथ में दे दें। इसके अलावे अतिक्रमणकारियों पर कानूनी कार्रवाई करें। यूं कहे कि जमीन का पर्चा मेरे साथ और जमीन है किसी और के हाथ। वैसे तो राजस्व एवं भूमि सुधार के विभागीय मंत्री और अधिकारियों के द्वारा सभा सम्मेलन में कहा जाता है कि जिनके पास जमीन की कागजात है उनको किसी भी तरह से कब्जा करा दिया जाएगा। अब देखना है कि जिला पदाधिकारी को प्रेशित आवेदन के आलोक में कबतक दलितों को जमीन पर कब्जा मिल पाता है?