नई दिल्ली : भारत में हर साल सैकड़ों NGO (गैरसरकारी संगठन) पंजीकृत होते हैं। ये गैरसरकारी संगठन एक ओर तो समाज से गरीबी हटाने की और जरुरतमंदो की सहायता करने की बात करते हैं, लेकिन असल में ऐसा कुछ अभी तक दिखाई नहीं दिया। इसी के मद्देनजर हाल ही में सीबीआई ने भारत में पंजीकृत किए गए एनजीओ के बारे में एक लिस्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि भारत में लगभग 31 लाख एनजीओ मौजूद हैं।
इनकी संख्या भारत में मौजूद कुल स्कूलों की संख्या की दुगनी, सरकारी अस्पतालों की संख्या से 250 गुनी ज्यादा है। भारत में हर एक एनजीओ 400 लोगों के लिए है, वहीं अगर एक पुलिस वाले की बात करें तो भारत के 709 लोगों के लिए एक पुलिस वाला है।
हाल ही में कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि देश में रजिस्टर्ड एनजीओ के बारे में जानकारी इकट्ठा की जाए। इसके जरिए ये पता लगाया जाए कि क्या इन संगठनों ने अपनी बैलेंस सीट फाइल की है जिसमें उनके आय-व्यय के बारे में जानकारी दी गई हो ताकि यह पता लगाया जा सके कि ये एनजीओ नियमों को ताक में रखकर काम तो नहीं कर रहे हैं।
अब CBI ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दिया है। इस हलफनामे में 26 राज्यों के बारे में जानकारी दी गई है जिनमें कुल 31 लाख एनजीओ के होने की बात निकलकर सामने आई है। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में 3 राज्यों को कर्नाटक, उड़ीसा व तेलंगाना को शामिल नहीं किया है। इसके अलावा भारत के 7 केंद्र शासित प्रदेशों में 82,000 से ज्यादा एनजीओ पंजीकृत हैं।
इन राज्यों में सबसे ज्यादा एनजीओ उत्तरप्रदेश में हैं। उत्तरप्रदेश में कुल 5.48 लाख एनजीओ हैं। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र में 5.18 लाख व तीसरे नंबर पर केरल है, जहां पर 3.7 लाख एनजीओ हैं वहीं अगर केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित एनजीओ की बात करें तो दिल्ली में अकेले 76,000 एनजीओ हैं।
इनमें से 10 प्रतिशत से कम एनजीओ ने रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज को बैलेंस शीट और आय-व्यय की जानकारी मुहैया कराई है वहीं 30 लाख एनजीओ में से सिर्फ 2.9 लाख ने ही अपनी वित्तीय जानकारी मुहैया कराई है।
जबसे राज्यों के कानून ने इस पर ढील बरतना शुरू किया है, तब से केरल के 3.7 लाख एनजीओ ने कोई भी जानकारी मुहैया नहीं कराई है। ऐसा ही हाल दूसरे राज्यों में भी है। ऐसे में इन एनजीओ से ईमानदारी की बात करना तो बेमानी सी लगती है।