नई दिल्ली : महासागर और मौसम के अध्ययन के लिए तैयार किये गये स्कैटसैट-1 (एससीएटीएएटी-1) और सात अन्य उपग्रहों को लेकर पीएसएलवी सी-35 ने आज सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी. स्कैटसैट-1 से इतर सात उपग्रहों में अमेरिका और कनाडा के उपग्रह भी शामिल हैं।
स्कैटसैट-1 के अलावा, इसरो का 44.4 मीटर लंबा पीएसएलवी रॉकेट दो भारतीय विश्वविद्यालयों के उपग्रह भी साथ लेकर गया है। इसके अलावा तीन उपग्रह अल्जीरिया के हैं और एक-एक उपग्रह अमेरिका और कनाडा का है। पीएसएलवी सी-35 ने चेन्नई से लगभग 110 किलोमीटर दूर स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह नौ बजकर 12 मिनट पर उड़ान भरी. यह पहली बार है, जब पीएसएलवी दो अलग-अलग कक्षाओं में पेलोड प्रक्षेपित करेगा।
इस काम के लिए चार चरणों वाले इंजन को दो बार पुन: शुरू किया जाएगा। पीएसएलवी सी-35 चेन्नई से करीब 110 किमी दूर स्थित स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह नौ बजकर 12 मिनट पर अपने सफर के लिए रवाना हुआ। स्कैटसैट-1 एक प्रारंभिक उपग्रह है और इसे मौसम की भविष्यवाणी करने और चक्रवातों का पता लगाने के लिए है। इसरो ने कहा कि यह स्कैटसैट-1 द्वारा ले जाए गए कू-बैंड स्कैट्रोमीटर पेलोड के लिए एक ‘सतत’ अभियान है।
कू-बैंड स्कैट्रोमीटर ने वर्ष 2009 में ओशनसैट-2 उपग्रह द्वारा ले जाए गए एक ऐसे ही पेलोड की क्षमताएं पहले से बढ़ा दी हैं। स्कैटसैट-1 के साथ जिन दो अकादमिक उपग्रहों को ले गया है, उनमें आईआईटी मुंबई का प्रथम और बेंगलूरू बीईएस विश्वविद्यालय एवं उसके संघ का पीआई सैट शामिल हैं। प्रथम का उद्देश्य कुल इलेक्ट्रॉन संख्या का आकलन करना है जबकि पीआई सैट अभियान रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोगों के लिए नैनोसेटेलाइट के डिजाइन एवं विकास के लिए है।
पीएसएलवी अपने साथ जिन विदेशी उपग्रहों को ले गया है, उनमें अल्जीरिया के- अलसैट-1बी, अलसैट-2बी और अलसैट-1एन, अमेरिका का पाथफाइंडर-1 और कनाडा का एनएलएस-19 शामिल हैं। इसरो ने कहा कि पीएसएलवी सी-35 के साथ गए सभी आठ उपग्रहों का कुल वजन लगभग 675 किलोग्राम है। स्कैटसैट-1 का वजन 371 किलोग्राम है। स्कैटसैट-1 को उड़ान भरने के 17 मिनट बाद 730 किलोमीटर उंचाई पर स्थित ‘पोलर सनसिंक्रोनस ऑर्बिट’ में छोड़ा जाना है। बाकी उपग्रहों को लगभग दो घंटे बाद 689 किलोमीटर उंचाई वाली एक निचली कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा।
जानिए इस मिशन की विशेषता
1.पीएसएलवी सी-35 की यह 37वीं और एक्सएल मोड में यह 15वीं उड़ान है।
2.इसरो का ये पहला मिशन है, जिसमें सैटेलाइट्स को दो अलग-अलग कक्षाओं (ऑर्बिट) में पहुंचाया जाएगा।
3. इसमें सबसे अहम सैटेलाइट भारत का SCATSAT-1 है। यह मौसम और समुद्र के अंदर होने वाली हर हलचल यानी साइक्लोन और तूफान पर नजर रखेगा और अहम जानकारी भेजेगा।
4.रॉकेट इसे 17 मिनट के अंदर 730 किमी ऊंचाई पर छोड़ देगा। इसकी लागत 120 करोड़ रुपए आई है।
5.भारत इस सैटेलाइट का वजन 377 किलोग्राम है।
6.मुंबई आईआईटी के छात्रों द्वारा बनाया गया ‘प्रथम’ और बेंगलुरु यूनिवर्सिटी का सैटेलाइट ‘पिसाट’ भी अंतरिक्ष कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
7. ‘प्रथम’ का वजन 10 किग्रा और बेंगलुरु यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स का बनाया ‘पिसाट’ 5.25 किग्रा का है।
8. ‘पिसाट’ को पीईएस यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु ने एसकेआर इंजीनियर कॉलेज, सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, सेलम, वेलटेक यूनिवर्सिटी, चेन्नई और नेहरू और कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने बनाया है।