उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 26 जुलाई को भड़के सांप्रदायिक दंगे की जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंप दी गई है। जांच कमेटी ने स्थानीय पुलिस प्रशासन पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं।
कमेटी के मुताबिक पुलिस को तनावपूर्ण हालात की जानकारी थी, लेकिन इसके बाद भी पूरे घटनाक्रम से पहले लगभग सोती रही जिसके बाद दंगे भड़के। कमेटी के मुताबिक स्थानीय नेता और पूर्व में कांग्रेस से जुड़े रहे मुहर्रम अली पप्पू पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। साथ ही बीजेपी सांसद राघव लखनपाल पर भी लोगों को भड़काने का आरोप लगाया गया है।
गौरतलब है कि गत 26 जुलाई को सहारनपुर के कुतुबशेर इलाके में एक विवादित स्थल पर निर्माण कार्य को लेकर दो अल्पसंख्यक समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गई थी तथा 20 अन्य जख्मी हो गए थे। दंगाइयों ने अनेक दुकानें जला दी थीं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दंगे की जांच के लिए लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव की अगुवाई में एक दल गठित किया था।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव नरेश अग्रवाल ने बताया कि जांच दल ने हाल में मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में साफ दर्शाया गया है कि अधिकारियों की नाकामी से यह दंगा हुआ। यह साम्प्रदायिक नहीं, बल्कि लापरवाही का दंगा था। उन्होंने कहा कि दोषी अधिकारियों पर मुकदमा कर कार्रवाई होनी चाहिए ताकि अधिकारी सचेत हों और भविष्य में लापरवाही न हो। साथ ही एक संदेश भी जाए कि गलती करने पर कार्रवाई होगी।
अग्रवाल ने कहा, ‘दंगे में वहां के एक भाजपा सांसद की भूमिका भी सामने आई है। भाजपा दूध की धुली नहीं है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहूंगा कि वह लालकिले से तो कहते हैं कि साम्प्रदायिकता को 10 साल के लिए रोक कर देखा जाए, लेकिन अपनी ही पार्टी के साम्प्रदायिक तत्वों को नहीं रोक पा रहे हैं।’ उन्होंने कहा ‘यह तो वही बात हुई कि चोर से कहो चोरी करो, शाह से कहो जागते रहो। यह दोमुंही नीति नहीं चलेगी। मोदी जी को इस पर स्पष्ट नीति घोषित करनी चाहिए।’ सूत्रों के मुताबिक जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में भाजपा के स्थानीय सांसद राघव लखनपाल पर शहर में घूम-घूमकर दंगाइयों को उकसाने का आरोप लगाया है।
वहीं, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि यूपी में दंगे सपा और बीजेपी की वजह से हो रहे हैं। गौरतलब है कि गत 26 जुलाई को सहारनपुर के कुतुबशेर इलाके में एक विवादित स्थल पर निर्माण कार्य को लेकर दो अल्पसंख्यक समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गई थी तथा 20 अन्य जख्मी हो गए थे। दंगाइयों ने अनेक दुकानें जला दी थीं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दंगे की जांच के लिए अपने चाचा और लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव की अगुवाई में एक दल गठित किया था। इस दल में ग्राम्य विकास मंत्री अरविन्द सिंह गोप, प्राविधिक शिक्षा मंत्री शिवाकान्त ओझा, युवा कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष आशू मलिक तथा मुरादाबाद के सपा जिलाध्यक्ष हाजी इकराम कुरैशी भी शामिल थे। जांच दल ने सहारनपुर जाकर दोनों समुदायों के लोगों तथा प्रतिनिधियों से बातचीत की थी। इसके अलावा उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से भी गुफ्तगू की थी।