अराजकता के संदर्भ मे

 

arajakataलोकसभा चुनाव की असफलता पर  एक नये महीने पर लेकर खडी कर देती है। चुनाव के पहले नजर डाले तो हर एक राजनैतिक पार्टी अपने अपने अंदाज पर जनता पर खेडिया बाटी जा रही थी बात चाहे विकास की हो या सुरक्षा की हो या रोजगार की हो सभी अपने अपने तरीको से जनता को प्रभविता करने का काम कर रही थी।

प्रन्तु सरकार का वास्तविक दर्पण क्या है। यह जनता सभी प्रयार जानती है और समझती है प्रन्तु चुनाव के टाइम स्थित हमेशा बदलना एक एआम बात होती है।

कुछ इस बार ऐसा ही हुआ देश के सबसे बडे संसदीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश में जो अपने आप में सांसद रखता है। उसकी दशा खूनी क्यो दयनीय क्यों पूर्ण बहुमत से उत्तर  प्रदेश सरकार आई और उसके बाद भाजपा 71 सीट जीतकर इतिहास रच चुकी है। पहले बात मोदी जी की करते है उन्होने कहा कि गंगा कर सेवा करूंगा। लेकिन केवल माॅ की सेवा से प्रदेश्सा स्वस्थ्य नही होगा कई जरूरी कार्यक्रम चलाने होंगे कठोर फैसले लेने होंगे। प्रदेश की हालत पर गंभीरता से नजर रखनी होगी। तभी जाकर ये प्रदेश स्वस्थ्य नजर आयेगा। आज प्रदेश की हालत बहुत ही खराब होती जा रही है। समाज की रक्षक समाजवादी पार्टी पूरी तरह से नजर आ रही है।

पिछले दिनो दिल्ली में आयोजित निवेश सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को प्रदेश में तकरीबन 60000 करोड रूपये के निवेश की उम्मीद जगी हैं।  राज्य सरकार के साथ 54056 करोड रूपयेे के 19 ओयू के हस्ताक्षर करने वाली अघिकांश कंपनी वहीं पर है जो पहले किसी न किसी रूप् में प्रदेश्सा से जुडी रही है। वस निवेश से गदगद होने वाले मुख्यमंत्री को इसकी चिंता होनी चाहिए। आखिर निवेक्षक प्रदेश में निवेश करने से क्यो घबरा रहे है। उद्योग धन्धें बन्द होने की कगार पर क्यों है। निवेक्षक पलान करने के लिए क्यों मजबूर है। प्रदेश में कानून व्यवस्था की जगह अराजकता का सम्राज्य हो बिजनी सडक पानी की सुविधाओ की हालत खासा पतली है। और रोचक तथ्य यह है कि मुख्यमंत्री इसे उत्तम प्रदेश का दर्जा देते है।
प्रदेश सरकार अपने 27 महीने पूरे कर चुकी है स्थितियां वही की वही है क्यों सरकार का इकबाल शून्य पर हैं। ऐसा लगता है कि उनकी सरकार का पूरा ध्यान तबादला, बहाली और नोएडा ग्रेटर नोएडा की मंहगी जमीन आवंटित करने पर है। राज्य में गर्मी अपने चरम सीमा पर है। बिजली का गहन संकट की बिद्युत उत्पादन करने वााले क्षेत्र ठप पडे है  और क्षमता से कम उत्पादन कर रहे है। प्रदेश 12700 मेगावाट प्रतिदिन बिजली की जरूरत है। और सरकार केवल 10700 मेगावाट बिजली ही उपलब्ध करा पा रही है। बिजली चोरी और लिकेज के कारण सरकार को सलाना 700 करोड रूपये की क्षति हो रही हैं। सडके टूटी फूटी है या नदारक हैं।

बदांयू की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद आये दिन किसी न किसी इलाके में घटना देखी जा रही है। अगर जवा सरकार कर जातिवाद का आरोप लग रहा है उसका कारण है प्रदेश में 1500 सौ थाने है। आगे से 800 सौ की कमान यादवों के हाथ में हैंै। इनकी नियुक्ति जाति के आधार पर हुई है। या प्रेरित के आधार पर इसका चयन अत्यन्त कठिन है। देश की अहम प्रदेश हथकडी की ताजी जंजीर है।

जहां कानून व्यवस्था इतना चैपट हो गई हो आजाद देश के इतिहास में पहली बार संयुक्त राष्ट ने चिंता व्यक्ति की है प्रदेश में आज कोई ऐसा दिन नही जाता जिसमें जमीन अपराध न हो इससे ज्यादा चिंताजनक स्थित है प्रदेश सरकार के साथ साथ केंन्द्र सरकार की रहस्समय चुप्पी ऐसी स्थित में तो केंन्द सरकार के संविधान के तहत इस तरह की नकारा सरकार को पूरा पूरा बर्खास्त करने कसा हक है। दरअसल देश का कानूनी ढाचा पूरी तरह से धवस्त है। जो जरा सा कानून का पालन करने का प्रयत्न नही करता है। उसे तत्काल सरकार से अमूलन कर दिया जाता है।

जब व्याधा हायतौबा मचती है दिखावे के लिए कुछ अपराधी पकडकर जेल पर रख दिये जाते है। फिर मामले को दबाने के लिए जांच जमतिंया बना दी जाती है। ऐसे में अपराध व अपराधियों की खात्मा की उम्मीद से आ सकती है। देश में लगभग कानून का राज्य खत्म हो चुका है।गली मोहल्ले का स्तर हो या फिर राष्टीय कहीं भी कानून नजर नही आ रहा है। जरा होलिका लाल यादव हत्याकांड को याद कीजिए वारदात के तत्व तमाम पुलिस प्रसाशन आला अफसर मैजूद थे। पर सत्ताधारी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का पुत्र होने के चलते वारदाती का कुछ न बिगडा एक दो तीन चार पांच नही ऐसी वारदाते हजारो की संख्या मे हो रही है।

उत्तर प्रदेश में नेतागिरी और वोटो की राजनीति इतनी हावी हो चुकी है कि पुलिस प्रसाशन चाह कर भी कुछ नही कर पाता जो करता भी है उसे जीने नही दिया जाता है। हाल ही के दो उदाहरणो से स्पष्ट हो जायेगा। रातदिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ बेहद मामूली बात पर दंगा भडक गया फिर भारी पुलिस प्रसाशन की मौजूदगी में खुलेआम फायंिरग लूटपाटी की भारी भरकम पुलिस वल की मौजूदगी में फायरिग करते दंगाइयों की वामुश्किल बनी चंद कोटो अखबारो में छपने के बाद किसी भी आरोपी का बाल बाका नही हो सकता है।

जनता और माडिया की चीख पुकार पर केवल अज्ञात पर सैकडो मुकदमे दर्ज किए सबकुछ जानते हुए असली अपराधियों को बक्स दिया जाता है। स्वाभाविक रूप मे करोडो के नुकसान के बाद किसी ने भी चूॅ तक नही की। हालात इतने खराब हो गये है कि जनता ओर पुलिस प्रसाशन से विश्वास उठ चुका है। आज धारणा यह बन चुकी है कि प्रदेश सरकार एकवर्ग विशेष लोगो को संभलकर तरह तरह का अपराध करने की संवैधानिक छूट दे रखी है। इसके के साथ एक परपाटी विकसित हो चुकी है। गंभीर से गंभीर वारदातो को अंजाम देने वाले कुख्यात अपराधियों को रंगे हाथो पकड लिए जाने के बवाजूद भी कोई कार्यवाही नही की जाती ब्लकि पीडित पर तमाम दोषारोपण करके उसका चरित्र हनन कर समझौते के लिए वाहय किया जाता है।

इस सरकार में जनता के ससाथ साथ इमानदार अफसर की स्थित वदतर है। जो जरा सा अपने नियम से कम करना चाहता उसे जान से हाथ धोना पडता है और कई आरोपो के साथ निलम्बन भी हो जाता है। अभी हाल में ही उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के मंत्री के कहने पर खुलेआम ठेकेदार बने गुंडो ने संबधित अधिकारी की जमकर पिटाई की और समय पास होने के बवाजूद भी टेंडर पास करवाये।
प्रदेश में पुलिस प्रसाशन की उहालत यह है कि मलाईदार महत्वपूर्ण वकीलो व ओहदों में नकारा व भ्रष्ट अफसर अरसे से कुन्डली योर बैठे है। और अपनी उच्च पहुंच के चलते अपन उच्च अधिकारियों की भी नही सुनते है। उत्तर प्रदेश की ही नही देश के अन्य प्रदेशो में स्थितिंया चिनताजनक है चाहे वो मध्य प्रदेश हो या फिर महाराष्ट बलात्कार व हत्या की वारदाते रूकने का नाम नही ले रही है। एक के बाद एक वारदातो का निशकर्ष आसानी से निकाला जा सकता है।

पहला तो यह कि पुलिस प्रसाशन की मानरसिकता पूरी तरह से बदल चुकी है उनका कर्तव्य व दायित्व नेतोओ सत्ताधारी से से सीमित है इसका निशकर्ष यह निकलता है कि कानून यानि पुलिस प्रसाशन एक मामुली से भी मामुली अपराधी से भी किस कदर खौफ खाता है। लगभग 80 फीसद मामले में जनता ने कानून का सहारा ने लेेने के बजाय बेसहारा  रहना पसंद करती है। जनता में गुस्सा तो है पर वह गुस्सा संगठित व परिवर्तनवरक का होकर आत्मघाती रूप से सामने आ रहा है।

मामुली से मामुली बात पर आपसी लडाई झगडा व मारकाट की बढती प्रतिवत्त सरकार सव कानून के प्रति आक्रोश का रूप है। इन सब के बावजूद भी हमारे देश में कुछ चीजे ऐसी भी है जो खासमसाल के लिए बेहद सुकीन भरी है। रसूकदार सब नियम व कानून के ऊपर हैं और उनका कभी कुछ नही बिगडता है। दूसरा यह कि देश की जनता कभी संगठित नही हो सकती है। इसलिए इसके बद से बदतर हालात के बावजूद कुछ भी होना आता नही है।

जिस देश में बडे-बडे रसूखदारो के एक से एक संगीन कर्म मिनटो में वाक्या नजर अंदाज कर दिये जाते है और लोकपपाल विधेयक से जनता से तमाम प्रयासो के बावजूद भी ठेंगा दिखाया जाता है। स्थ्तिंया अत्यन्त गंभीर है। आप इससे कुछ नही उम्मीद कर सकते हो एक कहावत कहते है कि यदि घोडा घास से यारी करेगा तो खायेगा क्या,इसी प्रकार यदि व्यवस्था जनता से यारी करेगी तो कमायेगी क्या,। समाज के बीच कानून का राज एक सिक्के के दो पहलू है आज पैसा कमाने के लिए आदमी कोई भी हद पार करने को तैयार है।
यमुना एक्सप्रेसवें एक निश्चत स्पीड के बाद जुमार्ने का प्रावधान है लोक जुर्माना देकर भी अधिककतम संभव स्पीड पर शर्ते लगाकर तमाश्साा कर रहे है। समाज की निरंकुराता व उदंडता का एक बडा कारण बेहद कम सजांए व जुुर्माना भी है। संगीन सें संगीन अपराध के लिए सालो साल की व्यर्थ की समय खपाऊ मुकदमें वाली मामलो पर निपटने पर मामुली जुर्माना या सजा इन सबसे ही अपराधी का हौसला बढता है और पीडित की जीवन भी ऊभर जाता है। इतिहास के पन्नों और मैजूदा हालात को देखते हुए सिथ्तयों ने परिवर्तन की संभावनाए दूर की कडी लगती है।

हालांकि केन्द्र में एक मजबूत स्थ्ति नरेंन्द्र मोदी के नेत्ृत्व में नई सरकार सत्तारूद हो गई है। लेकिन उसकी भी अपनी सीमांए है। और संविधान के तहत उनके हाथ हुए है वैसे भी कानून व्यवस्था राज्य सरकारो के हाथ में होती है। केंन्द्र सरकार को संविधान के तहत कानून व्यवस्था अदि तमाम मुद्दो पर राज्या सरकारों आदि को बर्खास्त कर दुबारा चुनाव करने का अधिकार है। पर साथ ही राज्स सरकार को भी केंन्द्र सरकार के खिलाफ न्यायालय जाने का पूरा अधिकार है। इसलिए इस मुद्दे पर जब देश में नई संवैधानिक नीति की जरूरत है।

राज्य के युवा मुख्यमंत्री से लोगो के स्वाभाविक तौर पर बडी अपेक्षाए थी कि वह जाति व मजहब विशेष कर तुष्टीकरण की पारंपरिक लीक से हटकर सकारात्मक रारजनीति करेंगे किन्तु ग्रेटर नोएडा सामली और मुजफ्फर नगर के दंगांे को लेकर सरेआम जज का जो रवैया रहा है उससे स्पष्ट है कि वह स्वतंत्र रूप से काम कर पाने में समर्थ है। कहने को अखिलेश यादव मुख्यमंत्री है किन्तु सरकार में मुलायम सिंह यादव, राम गोपाल यादव, शिवपाल यादव और इन सब के बेटो की चमक कम नही है।

मुस्लिम चेहरे के नाम पर सपा सरकार ने आजम खान को महत्वपूर्ण मंत्रालय दे दिया है। प्रसाशन पर आजम खान का खासा प्रभाव है। जब से समसाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में सत्तारूद हुई है तब से 50 से अधिक घटनांए हो चुकी है। वोट बैंक की राजनीति कासे पोशित करने के लिए कानून एवं व्यवस्था की मशीनरी और प्रसाशन दोनो का धुर्वीकरण किया गया है। आज प्रदेश की दशा अत्यन्त दयनीय है इसके लिए प्रदेश सरकार जिम्मेदार है उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश  बनाने के लिए राज्य में कानून व्यवस्था दुरस्त करने  के साथ अपारभूत सरंरचनाओ का विकास जरूरी है।

समाज में समुचित विकास की मांग है। लोकसभा का वर्तमान जनादेश इस बदलते भारत को इंगित करता है। लोगो को असंख्य आसाऐ है। लेकिन यह नही पता कि एक घर को बनाने के लिए 6-7 महीने लग जाते है। और बिगडे भारत को बनाने के लिए कितना समय लगेगा। इस सरकार को समय देने की जरूरत है। जिस तरह से संगठित होकर लोकसभा भेजा है उसी तरह से उचित कार्यप्रणाली का सर्मथन करना पडेगा क्योकि विपक्ष हमेशा सरकार की कार्यप्रणाली पर राजनीति करता है प्रन्तु इस दयनीय दशा पर उभरने के लिए कठोक कदम उठाने पडेंगे मंहगाई पर नियंत्रण, पर्याप्त रोजगार के साधन, व विकास की एक अधारशिला रखनी पडेगी तब तब जाकर देश का उद्यार होगा और तभी मिलेगा अच्छे दिनो का लाभ।