यहां आपको यह बता दे कि जनवितरण दुकानदार एक महीने का राशन वह भी केवल चावल देकर उपभोक्ताओ से चार माह का कूपन ले लेते हैं। यहाँ उपभोक्ताओं को महीने भर का राशन भी पेट भरने के लिए नहीं मिल रहा है। दुकानदार उनभोक्ताओं को पिछले माह का राशन देकर पूर्व के माह का भी कूपन ले लेते हैं और साथ ही गेहूँ के बारे में उपभोक्ता द्वारा पूछे जाने पर जनवितरण दुकानदारो द्वारा यह कहा जा रहा कि गेहूँ गोदाम मे नहीं है। कूपन जमा कर दे आने पर देंगे।
पिछले तीन कूपन का अनाज कहा गया इन सब सवालो को लेकर उपभोक्ता किनके पास जाये यह बात अब उपभोक्ताओं के समझ से परे है। क्यांेकि प्रखण्ड आपूर्ति पदाधिकारी और जनवितरण दुकानदार एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं। उनके पास शिकायत करने के लिए उपभोक्ताओ को काफी मशक्कत करनी पडे़गी क्योकि श्रीमान के बिचैलिये तसीलि कर श्रीमान के पास पहुंचा देते हैं तो श्रीमान प्रखण्ड या क्षेत्र में कम ही नजर आते है। अगर भगवान भरोसे शिकायत उनके पास पहुँच भी गया तो क्या एक पेशगी में शिकायत की अर्जी रद्दी की टोकड़ी में रहती है। इस सुसासन कि सरकार में भी अनुमण्डल में राशन किरासन माफिया हावी है और उपभोक्ता मजबूर और निरीह।