ग्रेटर नोएडा की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन के मुद्दे पर विवाद बढ़ता जा रहा है। आलोचना झेल रही यूपी सरकार के बचाव में यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि दुर्गा शक्ति पर कार्रवाई सही है। उत्तर प्रदेश सरकार और आईएएस असोसिएशन के बीच टकराव की स्थित बनती जा रही है। इस बीच यूपी के मुख्यमंत्री ने अखिलेश यादव ने दुर्गा के निलंबन को सही ठहराया है, अखिलेश का कहना है कि इस निलंबन का खनन से लेना-देना नहीं है। अखिलेश ने यह भी कहा कि बदले में कोई कार्रवाई नहीं की, दरअसल माहौल बिगाड़ने को लेकर यह कार्रवाई की गई है।
इस मुद्दे पर आईएएस असोसिएशन ने केन्द्रीय मंत्री नारायणसामी से मिलकर निलंबन वापस लेने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उचित कार्रवाई नहीं हुई तो असोसिएशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। वहीं, एसपी के सीनियर नेता नरेश अग्रवाल ने गौतमबुद्ध नगर के डीएम को भी सस्पेंड करने की मांग की है।
गौरतलब है कि गौतमबुद्ध नगर के डीएम की रिपोर्ट में इस रिपोर्ट में बताया गया है कि एसडीएम दुर्गा शक्ति ने किसी मस्जिद की दीवार नहीं गिरवाई बल्कि उनके साथ बातचीत के बाद सहमत गांववालों ने ही दीवार गिरा दी यानी दुर्गा शक्ति के निलंबन का आधार ही गलत साबित होता दिख रहा है।
इसके साथ ही एक पत्रकार के सवाल के जवाब में अखिलेश ने कहा कि गतलती किसकी है उन्हें इसके बारे में बेहतर जानकारी है। मुख्यमंत्री ने गौतमबुद्ध नगर जिले के डीएम की रिपोर्ट को भी खारिज कर दियाए जिसमें कहा गया था कि मस्जिद की दीवार दुर्गा ने नहीं ब्लकि समझाने बुझाने के बाद गांव वालों ने खुद गिराई थी। अखिलेश की बातचीत से साफ है कि कार्रवाई लोकल इंटेलीजेंस ऑफिसर की रिपोर्ट पर हुई जिसमें कानून व्यवस्था बिगड़ने का अंदेशा जताया गया था। मतलब सीएम डीएम की रिपोर्ट से ज्यादा एलआईओ की रिपोर्ट को तवज्जो दे रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक़ दुर्गा शक्ति नागपाल रेत माफियाओं और समाजवादी पार्टी के एक नेता के निशाने पर थीं। दरअसलए दुर्गा शक्ति नागपाल ने रेत माफियाओं के अवैध कारोबार पर नकेल कसने के लिए कई कड़े कदम उठाए थेए जिससे समाजवादी पार्टी के एक नेता काफी खफा थे और उन्होंने ही अतिक्रमण विवाद को हवा देकर दुर्गा शक्ति के निलंबन में अहम भूमिका अदा की।