नई दिल्ली: बीते दिनों चीन के द्वारा की गई घटिया हरकत का जवाब देने के लिए भारत ने भी तयारी करनी शुरू कर दी है। सभी जानते हैं कि त्योहारों का महीना है। लेकिन ये दिवाली पहले जैसी नहीं होगी क्योंकि इस दिवाली में चीनी थोड़ी कम होगी। चीनी यानी दिवाली के मौके पर बाजारों में दिखाई देने वाले चीनी सामान। जिनके बहिष्कार के लिए सोशल मीडिया में मुहिम चलाई जा रही है।
इतना ही नहीं भारत की कई संस्थाओं ने तो आन्दोलन का ऐलान भी कर दिया है। सिर्फ इसलिए, क्योंकि हिन्दुस्तान के बाजारों में अरबों का कारोबार करने वाला चीन अब पाकिस्तान का साथ दे रहा है। लेकिन जो अबतक हुआ, वो शायद इस बार न हो क्योंकि पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अब तैयारी चीन में आर्थिक स्ट्राइक की है। देश की कई संस्थाएं अब दिवाली में चीनी सामान के बहिष्कार की तैयारी कर रही हैं।
सिर्फ ये संस्थाएं ही नहीं, बल्कि चीनी सामान के बहिष्कार के लिए सोशल मीडिया पर भी लंबी मुहिम जारी है। लोग भारत में चीनी सामानों पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं। जितना गुस्सा पाकिस्तान के खिलाफ है। उतना ही आक्रोश चीन के खिलाफ भी, क्योंकि हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन अब चीन का सबसे बड़ा दोस्त है।
भारत द्वारा ये कदम इसलिए उठाये जा रहे हैं ताकि हिन्दुस्तानियों का पैसा, किसी ऐसे मुल्क में न जाए, जो पाकिस्तान से हमदर्दी रखता हो, जो भारत के मोस्ट वॉन्टेड मसूद अज़हर की तरफदारी करता हो। पिछले कुछ बरसों में दीवाली के मौके पर चीनी सामानों का कितना कारोबार हुआ, इसका आंकड़ा देखें तो आप जीरो ही गिनते रह जाएंगे। 2006 में दिवाली में चीनी सामानों का कारोबार 11 हजार करोड़ का था, जो 2012 में बढ़कर 33 हज़ार करोड़ से भी ज्यादा हो गया। यानी तकरीबन तीन गुना। एक अनुमान के मुताबिक चीनी सामानों की वज़ह से भारतीय बाजार को तकरीबन 200 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ा है।