इस दौरान दोनों देशों ने आपसी रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए ब्रह्मपुत्र नदी जल से लेकर व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों के आठ समझौतों पर हस्ताक्षर के साथ संयुक्त बयान जारी कर रिश्तों के व्यापक विस्तार का एलान भी किया।
बातचीत के बाद मनमोहन सिंह ने लद्दाख का नाम लिए बिना बताया कि कछ्यांग से पश्चिमी सेक्टर (लद्दाख) में हुई घटना से मिले सबक पर बातचीत हुई है। हमने अपने विशेष प्रतिनिधियों को सीमा पर शांति बनाएं रखने के जरूरी उपायों पर विचार करने के लिए कहा है। वहीं साझा मंच से चीनी प्रधानमंत्री कछ्यांग ने कहा कि सीमा मामले पर बातचीत की मौजूदा व्यवस्थाओं को अधिक मजबूत करने और प्रभावी बनाने की जरूरत है। दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि सीमा मामले के समाधान का खाका तय करने के लिए, जल्द मिलेंगे। सीमा मामलों पर अब तक विशेष प्रतिनिधि स्तर पर बातचीत के 15 दौरे हो चुके हैं। हालांकि समाधान का कोई ठोस ढांचा अब तक तय नहीं हो पाया है।
चीन में भारत के राजदूत ध्रुव जय शंकर का कहना है कि वार्ता के दौरान लद्दाख में हुई सैन्य गतिरोध की हालिया घटना और सीमा मामले पर काफी बातचीत हुई। इस दौरान चीन की ओर से प्रस्ताविक नए रक्षा सहयोग समझौते पर कोई बात नहीं हुई। उन्होंने बताया कि चीन ने अपना प्रस्ताव 4 मार्च को भेजा था वहीं भारत ने इस संबंध में अपने सुझाव 10 मई को दिए हैं। लिहाजा, इस मुद्दे पर अभी विचारमंथन जारी संयुक्त बयान में दोनों देशों ने सैन्य स्तर पर संवाद और मेलजोल बढ़ाने पर जोर दिया।
इसके साथ ही दोनों पक्षों ने सीमा विवाद के समाधान तक सरहदों पर शांति बनाए रखने पर रजामंदी जताई है। तीन दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे ली कछ्यांग और मनमोहन सिंह के बीच हुई मुलाकातों में दोनों देशों के बीच बहने वाली नदियों के पानी, व्यापार घाटे तथा आपसी आर्थिक रिश्तों के साथ ही क्षेत्रीय व अंतराष्ट्रीय मुद्दों पर भी बात हुई। वार्ता के बाद भारत-चीन रिश्तों की मजबूती के लिए आठ समझौतों पर किए गए दस्तखत में ब्रह्मपुत्र नदी के पानी पर आंकड़े साझा करने का चीन ने भरोसा दिया है।
कछ्यांग का कहना था कि भारत की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए चीन ब्रह्मपुत्र पर आपसी बातचीत का स्तर बढ़ाने को तैयार है। गौरतलब है कि तिब्बत में चीनी बांध परियोजनाओं को लेकर भारत की चिंताएं हैं। भारत ने इसके लिए एक संयुक्त निगरानी तंत्र का प्रस्ताव दिया है।