भारत में अब तक विकलांग लोगों की वास्तविक संख्या तक मालूम नहीं है। बच्चों पर यूनीसेफ की ताजा रिपोर्ट ने पाया है कि भारत में विकलांग बच्चें के साथ तो भारी भेद-भाव हो रहा है, मगर ऐसी लड़कियों की हालत तो बहुत ही चिंताजनक है। देश के जनगणना के आंकड़ों से इसका सही अंदाजा नहीं मिल सकता। इसके लिए अलग से सर्वे करवाने की जरूरत है।
यूनीसेफ ने ‘दुनिया के बच्चों की हालत 2013’ रिपोर्ट जारी की। इस बार इसमें विकलांग बच्चों की हालत पर फोकस किया गया है। इस मौके पर यूनीसेफ के प्रतिनिधि लुइस जोर्जेस आर्सेलाल्ट ने कहा कि भारत में अब तक पता ही नहीं है कि वास्तव में देश की आबादी में कितने लोग विकलांग हैं। 2011 की जनगणना के दौरान जमा किए गए विकालांगता के आंकड़े अब तक सामने नहीं आए हैं।
2001 की पिछली जनगणना के दौरान यह आंकड़ा 2.13 फीसद बताया गया था।। लेकिन विकलांगता पर अंतराष्ट्रीय रिपोर्ट 2011 के मुताबिक भारत में 25 फीसद आबादी किसी न किसी तरह की विकलांगता की शिकार है। इसमें विश्व स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2002-2004 के हवाले से यह आंकड़ा दिया है।
जनगणना आयुक्त और भारत के महापंजीयक सी चंद्रमौली ने भी माना कि इस संबंध में वास्तविक आंकड़ों की कमी है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जो 25 लाख लोग ये आंकड़े जमा करने में लगाए जाते हैं, वे इस बात के लिए सक्षम नहीं हो सकते कि वास्तव में यह पता कर सकें कि कितने लोग विकलांग हैं। इस तरह से भारत के पास विकलांग लोगों का सटीक आंकड़ा न होना देश के लिए बहुत ही चिंताजक बात है, जो कहीं न कहीं देश पिछड़ने का सबूत देती है।