चीन के पंजे मे फंसता भारत

cheenभारत के पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फ्रैंडिस ने चीन को भारत पर सबसे बड़ा खतरा करारते हुए कहा था की हम पाकिस्तान के मित्र बन सकते हैं, परन्तु चीन के नहीं क्योंकि चीन कि आकांक्षाओं का अन्त नहीं। अभी चीन और भारत के मध्य युद्ध अभ्यास हुए ज्यादा समय नहीं बिता था चीन ने अपना दोहरा चारित्र दिखा दिया। चीन के लगभग २० सैनिक सीमा पर कर लद्दाक के चेंपजी मे ना केवल घुस आये बल्की टेंट लगा इधर उधर घुमने लगे मनो पर्यटक हो। चीनी लंघन के बाद एक मीटिंग भी भारतीय अधिकारियो ने की परन्तु उसका कोई परिणाम नहीं निकल पाया ।

सेना मुख्याल्य चीनी हरकत को दर किनार कर इसे अफवाह मात्र बता रहा है। अभी तत्काल पता नहीं चल पाया कि चीन के सैनिक अब भी भारतीय सीमा में बने हुए हैं या चले गए। चेपजी चुमार गलियारे के नजदीक है जहाँ कुछ समय पहले चीन कि तरफ से भारतीय सीमा का उलंगन किया गया था। अप्रैल मे चीनी सैनिक भारत के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर मे लगबग १९ किलोमीटर अन्दर घुस आये थे और ५ किलोमीटर लम्बी सड़क तक बना डाली।

चीन के शिविर कि जनकारी उस समय मिली जब चीनी चुमार मे घुस आये और ५ भारतीय नागरिको को पकडकर सीमा पार चीनी गलियारे मे ले गए। दोनों मुल्को ने बाद मे बीजिंग में हुई वर्ता मे कुछ नवीन रक्षा समझोतो पर हस्ताक्षर तो किए परन्तु हल ही मे भारत के रक्षा मंत्री एन्थनी ने यह कहकर सबको चोका दिया कि अभी यह समझोता इस बात कि पुष्टि नहीं करता कि भविष्य मे इस इलको मे ऐसे घटनाये नहीं होगी ।

एलएसी पर चुमार का इलाका चीन के लिए किरकिरी का सबब बना हुआ है और यहां चीनी घुसपैठ की घटनाएं पहले भी कई बार दर्ज की जाती रही हैं। इस साल जुलाई में चुमार के ही इलाके में चीनी सैनिकों ने भारतीय चौकी पर लगे निगरानी कैमरे को तोड़ दिया था। भारत की ओर से सख्त एतराज दर्ज कराए जाने के बाद चीनी सेना ने फ्लैग मीटिंग में कैमरा लौटाया था।

भारत और चीन के बीच सीमा अभी तक अनिर्णीत है। चीन अवैध तरीके से जम्मू-कश्मीर में भारत की करीब 38 हजार वर्ग किमी जमीन कब्जाए हुए है। जबकि, पूर्वोत्तर में पूरे अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों पर सीमा-विवाद के बहाने अपना दावा करता है।

अगामी वर्ष भारत और चीन सखापन कि दृष्ती से अत्यंत महत्वपूर्ण होने वाला है, भारत और चीन कि सेना ने नाटो कि अफगनिस्थान से वाप्सी पर अफगान का मोर्चा सम्भालना है और ऐसे मे भारत का साथ चीन मित्र के रूप मे देता है या शत्रु के रूप मे इस बात पर प्रश्नचिह्न बरकरार है।