क्वींस विश्वविद्यालय में कैंसर की शोधकर्ता मादुरी कोटी ने एक ऐसे बायोमार्कर की खोज की है, जो कि गर्भाशय कैंसर से पीड़ितों की कीमोथेरेपी की सफलता का बेहतर पूर्वानुमान लगाने में सहायक होगा।
विश्वविद्यालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, बायोमार्कर जैविक स्थिति अथवा हालात के सूचक हैं। इससे प्राप्त नतीजों से गर्भाशय कैंसर का बेहतर तरीके से इलाज किया जा सकता है।
भारतीय मूल की अमेरिकी प्रोफेसर कोटी ने बताया कि, “कैंसर का मुकाबला करने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता में हाल ही में मिली सफलता कैंसर से लड़ने में मरीज की प्रतिरक्षा प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोटी ने कहा कि यह सफलताएं विभिन्न उपचारों के माध्यम से कैंसर के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने पर निर्भर हैं। इस तरह के उपचार तब और ज्यादा प्रभावी साबित होंगे जब विशिष्ट उपचार के प्रति मरीज की संभावित प्रतिक्रिया को मार्कर के पूर्वानुमान के साथ जोड़ दिया जाता है।
कोटी ने अध्ययन में किसी विशेष उपचार के प्रति रोगी की सकारात्मक प्रतिक्रिया के संकेत प्राप्त करने के लिए कई तरह की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया। कोटी ने गर्भाशय के कैंसर से पीड़ित 200 मरीजों पर अध्ययन किया।
आपको बता दे कि गर्भाशय कैंसर के कारण विश्व में हर साल लगभग 152,000 महिलाओं की मौत होती है। महिलाओं में यह स्त्री संबंधी कैंसर के मामलों में मौत का एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है।