भारत – ब्रिटेन ने असैन्य परमाणु समझौते पर जल्दी ही बातचीत शुरू करने का निर्णय लिया है। इस आशय के समझौते से ब्रिटेन की कंपनियों को भारत के परमाणु बिजली क्षेत्र में प्रवेश करने की इजाज़त दिया जायेगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता के बाद यह घोषणा की है। इस बैठक में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के तमाम मुद्दों पर चर्चा की गई है।
भारत ने वर्ष 2032 तक अपनी परमाणु बिजली क्षमता 63,000 मेगावाट पहुंचाने की योजना बनाई है जो अभी 4,780 मेगावाट है। भारत के आकर्षक परमाणु ऊर्जा बाजार में हिस्सा हासिल करने की दिशा में कई देश सक्रिय हैं।
इससे पहले भी भारत अमेरिका, फ्रांस, कजाखस्तान, दक्षिण कोरिया, मंगोलिया और कनाडा समेत कई देशों के साथ असैन्य परमाणु संधियां कर चुका है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का यह कहना है कि उन्होंने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की पूर्ण सदस्यता की भारत की दावेदारी एवं अन्य बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण प्रणाली के संबंध में ब्रिटेन द्वारा समर्थन किए जाने के लिए कैमरन का आभार व्यक्त किया। कैमरन का भी यह कहना है कि ब्रिटेन भारत को उच्च प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने के पक्ष में है।