नई दिल्ली : 17 मई बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है, जिससे भारत की ऊर्जा जरूरतें काफी हद तक पूरी हो जायेंगी। दरअसल, कैबिनेट ने भारत में परमाणु बिजली के 10 संयंत्र लगाने का फैसला किया है। हर यूनिट की क्षमता 700 मेगावाट होगी।
वैसे हाल के वर्षों में किसी भी देश की तरफ से परमाणु संयंत्र लगाने की यह सबसे बड़ी घोषणा है लेकिन इस घोषणा की सबसे खास बात यह है कि ये संयंत्र पूरी तरह से भारतीय तकनीकी के आधार पर होंगे। इसे प्रेस्राइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर्स का इस्तेमाल किया जाएगा। इन परियोजनाओं पर तकरीबन 70 हजार करोड़ॉ रुपये का निवेश होगा औऱ 33,400 से ज्यादा लोगों को नौकरियां मिलेंगी।
भारत में अभी परमाणु ऊर्जा आधारित 6780 मेगावाट क्षमता की बिजली पैदा करने वाली इकाइयां हैं। इसके अलावा 6700 मेगावाट क्षमता पर काम चल रहा है जिनके वर्ष 2021-22 तक पूरा होने के आशार हैं। ये सब विदेशी सहयोग से स्थापित की जा रही हैं। इनमें 7000 मेगावाट औऱ जुट जाएगा। लेकिन परमाणु ऊर्जा को लेकर यह शुरुआत ही है।
ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि वर्ष 2030 तक भारत 60 हजार मेगावाट क्षमता परमाणु ऊर्जा से जोड़ना चाहता है। जाहिर है कि इसके लिए अभी कई तरह के कदम उठाने होंगे। सरकार की इस घोषणा से भारत के परमाणु बाजार पर नजर टिकाये हुए विदेशी सरकारों को थोड़ी निराशा जरुर होगी क्योंकि अब यह साफ हो गया है कि परमाणु ऊर्जा में तकनीकी के लिए भारत को अब दूसरे देशों का मुंह नहीं देखना पड़ेगा।