नई दिल्ली : उरी आंतकी हमले के बाद भारत द्वारा किये गये सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत- पाक के बीच युद्ध के आसार बनते नज़र आ रहे है । अगर गलती से भी भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध होता है और उस युद्ध में दोनों देश अपने सिर्फ आधे परमाणु बम का ही बटन दबा दें, तो हिंदुस्तान और पाकिस्तान में तो एक झटके में ही दो करोड़ दस लाख लोग मारे जाएंगे। मगर इसका असर ना सिर्फ बाकी पड़ोसी मुल्कों बल्कि आधी दुनिया को भी झेलना पड़ेगा।
भारत और पाकिस्तान के पास जो परमाणु बम हैं, उनमें से हर बम हिरोशिमा पर गिराए गए 15 किलोटन वाले बम के बराबर है। ये बम जैसे ही गिरेंगे सबसे पहले इसकी गर्मी, तपिश और रेडिएशन लोगों को मारेगी। उसके बाद भी जो बच जाएंगे उनके लिए जीना इतना आसान नहीं होगा। भोपाल गैस के तीस साल बाद आज तीसरी पीढ़ी भी बीमार पैदा हो रही है। फिर ये तो परमाणु बम हैं। अंदाजा लगाइए इसका असर कितना लंबा और खतरनाक होगा।
बमों के रेडिएशन का असर लोगों को सिर्फ तड़पाएगा ही नहीं, बल्कि बाकी दूसरे तरीकों और नतीजों से भी उन्हें तिल-तिल कर मरेगा। वैज्ञानिकों की मानें तो इतने रेडिएशन से वायुमंडल में ओजोन परत बर्बाद हो जाएगी। अब वायुमंडल से ओजोन परत के गायब होने या बर्बाद होने का मतलब ये है कि हवा से वो गैस ही खत्म हो जाएगी जो मौसम को बदलती हैं। यानी आधी दुनिया में सर्दी-गर्मी के फिक्स मौसम का सिलसिले ही बंद हो जाएगा। ऐसे में बहुत मुमकिन है कि इस जंग के बाद ऐसी भयानक सर्दी पड़े कि दुनिया से पेड़-पौधों का नामो-निशान ही मिट जाए। ऐसे में इंसानों की हालत क्या होगी ये समझा जा सकता है.
वैज्ञानिकों की मानें तो दोनों देशों के बीच एटमी जंग की सूरत में 2 करोड़ 10 लाख लोगों की मौत तो पहले ही हफ्ते में हो जाएगी. मौत का ये आंकड़ा दूसरे विश्व युद्ध में मारे गए लोगों की तादाद के मुकाबले आधा होगी। इतना ही नहीं मौत का ये आंकड़ा हिंदुस्तान में पिछले नौ सालों में आतंकवादी हमलों में मारे गए आम लोग, पुलिस, जवान और सुरक्षा बलों की कुल तादाद से 2 हजार 221 गुना ज्यादा होगा। इसका मतलब है कि इस वक्त आतंकवादी इंसान और इंसानियत को जितना नुकसान पहुंचा रहे हैं, परमाणु युद्ध उससे 2 हजार गुना ज्यादा इंसानों की जान लेगा।
हालत ये होगी कि दुनिया के एक बड़े इलाके से पेड़-पौधों और वनस्पतियों क नामो-निशान तक मिट जाएगा और सिर्फ इसी वजह से लगभग 2 अरब लोग भूख से मारे जाएंगे। ये आंकड़े 2013 में भौतिक वैज्ञानिकों के अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने परमाणु युद्ध रोकने के लिए किए गए एक अध्ययन के बाद जारी किए थे।