नई दिल्ली : सिंधु जल संधि पर भारत के सख्त रवैये को देखते हुए पाकिस्तान में दहशत का माहौल है। भारत की ओर से 56 साल पुरानी सिंधु जल संधि को रद्द किए जाने के कयासों के बीच पाकिस्तान ने विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय पंचाट का रूख किया।
समाचार चैनल जियो न्यूज के अनुसार पाकिस्तान के एटॉर्नी जनरल अश्तर औसाफ अली के नेतृत्व वाले पाकिस्तान सरकार के शिष्टमंडल ने वाशिंगटन डीसी स्थित विश्व बैंक मुख्यालय में विश्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की और सिंधु जल संधि-1960 के संदर्भ में मध्यस्थता के पाकिस्तानी आग्रह से जुड़े मामलों पर चर्चा की।
चैनल की रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत का भी रूख किया है, हालांकि उसने इस बारे में ब्यौरा नहीं दिया।
बीते 19 अगस्त को पाकिस्तान ने भारत से औपचारिक रूप से आग्रह किया था कि वह नीलम और चेनाब नदियों पर पनबिजली संयंत्रों के निर्माण से जुड़े विवादों का समाधान करे। वह मामले को मध्यस्थता अदालत के पास ले गया था।
इससे पहले पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से आई खबरों के अनुसार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने नेशनल असेम्बली में शरीन मजारी तथा अन्य सदस्यों के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के उत्तर में कहा कि सिंधु जल संधि में निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार भारत इस संधि को एकतरफा खत्म नहीं कर सकता।
अजीज ने कहा कि अगर भारत संधि का एकतरफा उल्लंघन करता है तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा। अगर जरूरत पड़ी तो पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी जाएगा।