नई दिल्ली : केंद्र सरकार से घर वापसी की मंजूरी मिलने के बाद एक तरफ जहां प्रवासी मजदूरों की खुशी का ठिकाना नहीं है, वहीं राज्यों में लॉकडाउन में मिली रियायतों के मद्देनजर खुलने की तैयारी कर रहे उद्योगों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। जानकारों का कहना है कि लॉकडाउन में काम ठप होने से उद्योग जगत पहले से हलकान है। फैक्टरियां खुलने के बाद मजदूर नहीं मिलने से उसकी मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष डीके अग्रवाल के मुताबिक एक बार मजदूर गांव चला गया तो उसे वापस लाना बेहद मुश्किल होगा। गांव में ही मनरेगा और खेती-किसानी में रोजगार मिलने के कारण मजदूर शायद ही शहर लौटना चाहेगा। अगर वापसी करेगा भी तो वह ज्यादा मजदूरी की मांग करेगा।
उन्होंने चेताया कि चूंकि, काफी दिनों से बंद पड़े उद्योग ज्यादा खर्च करने की स्थिति में नहीं होंगे, इसलिए मजदूरों का पलायन उम्मीद से कहीं अधिक बड़ी चुनौती बनने जा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार को राज्यों के साथ मिलकर मजदूरों का पलायन रोकना चाहिए। उद्योग जगत इस दिशा में हर संभव मदद करने को तैयार है।