नई दिल्ली : चुनावों के मद्देनजर केंद्र सरकार सोशल मीडिया कंपनियों को परामर्श के तौर पर हिदायतें जारी करेगी। इन्हें Whatsapp और Facebook समेत सभी प्लेटफार्म को मतदान से 48 घंटे पहले अनिवार्य तौर पर लागू करना होगा। यह परामर्श खासतौर पर राजनीतिक दलों के विज्ञापन, पोस्ट, फर्जी खबरों और अफवाहों को चुनाव प्रचार अभियान साथ रोकने के लिए होंगे।
बता दें कि सरकार इस मसले पर चुनाव आयोग और सोशल मीडिया प्लेटफार्म से भी चर्चा कर चुका है। इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय परामर्श तैयार करने के बाद कानून मंत्रालय से विचार-विमर्श करेगा। हिदायतों में चुनाव के दौरान सोशल मीडिया को अपने प्लेटफार्म की निगरानी चौबीसों घंटे करनी होगी। इस दौरान उसे अप्रिय घटना को आकर्षित करने वाली फर्जी खबरों और अफवाहों को तत्काल हटाना होगा।
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साथ ही विज्ञापन से इतर राजनीतिक दल के पक्ष या विपक्ष में जारी पोस्ट की निगरानी करनी होगी। अगर वह अनुचित प्रतीत होता है तो उसे भी हटाना होगा। आईटी मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक चुनाव प्रभावित नहीं हो, इसके मद्देनजर सरकार एक परामर्श जारी करने की तैयारी चल रही है। यह सभी प्लेटफार्म के लिए अनिवार्य होगा। इसे सोशल मीडिया के लिए तैयार किए जा रहे दिशा-निर्देशों में भी शामिल किया जा सकता है। दिशा-निर्देश हमेशा लागू करने के लिए होंगे जबकि परामर्श सिर्फ चुनाव अवधि के लिए होंगे। सरकार का मानना है कि चुनाव के दौरान सोशल मीडिया में आने वाली बेतुकी खबरों की वजह से कानून व्यवस्था गड़बड़ नहीं होनी चाहिए। याद रहे कि सरकार कैंब्रिज एनालिटिका-फेसबुक मामले और फेसबुक, व्हाट्सऐप में जारी फर्जी खबरों के बाद मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर सतर्क हो गई थी।
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IT मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि फर्जी खबरों के जरिए लोगों के बीच एक राय करने की कोशिश की जाती है जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए उचित नहीं है। साथ ही कानून व्यवस्था बिगड़ने जैसी स्थितियां भी इस कारण बन सकती हैं। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अनिवार्य परामर्श जारी की जाएगी। उन्होंने बताया कि यह परामर्श पांच राज्यों ने हो रहे चुनावों और लोकसभा चुनाव में लागू किया जाएगा। मतदान के 48 घंटे पहले सोशल मीडिया कंपनियों को परामर्श में विभिन्न स्तरों पर क्या करें और क्या नहीं करें कि अनिवार्यता लागू की जाएगी। ऐसे में चुनावी प्रचार अभियान खत्म होने के साथ सोशल मीडिया पर परामर्श लागू होगा।
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अधिकारी ने कहा कि यह कदम मतदाता को मतदान के पहले अहम समय पर प्रभावित होने से बचाने की है। परामर्श लागू होते ही सोशल मीडिया को राजनीतिक दलों की प्रचार सामग्री को भी प्लेटफार्म से हटाना होगा। इस दौरान उन्हें चौबीसों घंटे निगरानी भी करनी होगी, अन्यथा चुनाव प्रभावित करने की दिशा में प्रथम दृष्टया उनकी जवाबदेही होगी। इस बारे में मंत्रालयों, सोशल मीडिया और चुनाव आयोग के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। चुनाव से जुड़े परामर्श अगले एक सप्ताह में जारी किए जाने की संभावना है। गौरतलब है कि सरकार ने सभी सोशल मीडिया कंपनियों को शिकायत सुनवाई अधिकारी देश में रखने को कहा है। सभी कंपनियां जल्द इस पर अमल करने की तैयारी में है।