नई दिल्ली : विश्व के देशों में फैले भ्रष्टाचार पर ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने बुधवार को साल 2016 के लिए अपनी रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत को 79वां स्थान दिया गया है। दिलचस्प बात है कि साल 2015 में भारत की रैंक 76 थी। इसका मतलब यह हुआ कि भारत में 2015 की तुलना में भ्रष्टाचार बढ़ा है। इस लिस्ट में 90 के स्कोर के साथ डेनमार्क और न्यूजीलैंड पहले पायदान पर हैं। फिनलैंड को तीसरा स्थान मिला है, जिसके 89 स्कोर किया है। चौथे स्थान पर स्वीडन का नंबर है, जिसका 88 का स्कोर है। इसके बाद पांचवा पायदान हासिल किया है स्विट्जरलैंड ने, जिसका स्कोर 86 है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनैशनल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में भूटान को छोड़कर बाकी पड़ोसी देशों के मुकाबले कम भ्रष्टाचार है। पाकिस्तान इस सूची में 116 वें स्थान पर, जबकि चीन और भारत 79वें स्थान पर ही हैं। इसके अलावा ब्राजील, बेलारूस भी इसी पायदान पर हैं। भूटान 65 के स्कोर के साथ इस सूची में 27वें स्थान पर है। ब्रिटेन इस सूची में 10वें और अमेरिका 18वें पायदान पर है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनैशनल की यह रिपोर्ट दिखाती है कि किसी देश के पब्लिक सेक्टर में कितना भ्रष्टाचार फैला हुआ है। इसमें किसी देश को 0 से लेकर 100 के बीच में स्कोर दिया जाता है। 0 का मतलब है कि वह देश बहुत ज्यादा ही भ्रष्ट है जबकि 100 दिखाता है कि वहां किसी तरह का करप्शन नहीं है। साल 2015 में भारत 38 के स्कोर के साथ 76वें पायदान पर था, जबकि इस साल उसे 3 पायदान का नुकसान उठाना पड़ा है। दुनिया के सबसे भ्रष्टाचारी देशों में सोमालिया, साउथ सूडान, नॉर्थ कोरिया और सीरिया शामिल हैं।
भारत के लिए ट्रांसपेरेंसी इंटरनैशनल ने कहा है कि भारत का स्कोर 40 होना यह दिखाता है कि सरकार बड़े स्तर पर फैले भ्रष्टाचार को रोकने में नाकाम रही है। गरीबी, अशिक्षा और पुलिस की निर्दयता पर भ्रष्टाचार का प्रभाव दिखाता है कि सिर्फ इकनॉमी ही नहीं बढ़ रही, बल्कि भेदभाव में भी बढ़ोतरी हो रही है। साल 2012 और 13 में भारत का स्कोर 36 था। ट्रांसपेरेंसी इंटरनैशनल ने कहा कि इस साल 176 देशों में से एक तिहाई हमारे 0 से 100 के स्केल के आधे से नीचे रहे हैं। एक देश के सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार का संकेत 43 का स्कोर देता है।