पंजाब ने कोलकाता के सामने जीत के लिए 200 रन का लक्ष्य रखा था, जिसे कोलकाता ने 3 बॉल और 3 विकेट बाकी रहते हासिल कर लिया। कोलकाता की जीत में मनीष पांडेय की अहम भूमिका रही, जिन्होंकने अपनी टीम के लिए सर्वाधिक 94 रन का योगदान किया। कोलकाता नाइट राइडर्स की यह दूसरी खिताबी सफलता है। दूसरी ओर, किंग्स इलेवन पंजाब की टीम पहली बार फाइनल में पहुंची, लेकिन खिताब उससे दूर रह गया।
इससे पहले 2012 में पहली बार खिताब जीतने वाले केकेआर की जीत के नायक बेंगलोर के पांडे रहे, जिन्होंने अपने घरेलू मैदान पर 50 गेंद पर 94 रन की पारी खेली। इस 24 वर्षीय बल्लेबाज ने सात चौके और छह छक्के लगाए। उनके अलावा यूसुफ पठान ने चार छक्कों की मदद से 36 रन की पारी खेली लेकिन आखिर में पीयूष चावला (नाबाद 13) भी जीत के नायक बन गए। उन्होंने विषम परिस्थितियों में छक्का और विजयी चौका लगाकर टीम का स्कोर 19.3 ओवर में सात विकेट पर 200 रन पर पहुंचाया।
केकेआर की जीत से साहा की बेहतरीन पारी का मजा किरकिरा हो गया। उन्होंने 55 गेंद पर नाबाद 115 रन बनाए। जिसमें दस चौके और आठ छक्के शामिल हैं। उन्होंने सलामी बल्लेबाज मनन वोहरा (67) के साथ 72 गेंदों पर 129 रन की साझेदारी की टीम का स्कोर चार विकेट पर 199 रन तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। किंग्स इलेवन ने आखिरी दस ओवरों में 141 रन बनाए।
बड़े लक्ष्य का पीछा करने उतरे केकेआर ने अपने पहले ओवर में ही रोबिन उथप्पा (5) का विकेट गंवा दिया। उथप्पा ने इस सत्र में 16 मैचों में सर्वाधिक 600 रन बनाकर ओरेंज कैप हासिल की। लेकिन आज मिशेल जानसन की कोण लेती गेंद पर करारा शाट लगाने के प्रयास में उन्होंने प्वाइंट पर कैच दे दिया। ऐसा पहली बार हुआ, जबकि विजेता टीम के बल्लेबाज को ओरेंज कैप मिली।
पठान ने करणवीर के अगले ओवर में लगातार दो छक्के लगाए, लेकिन जॉर्ज बैली से जीवनदान पाने वाले पांडे ने न सिर्फ एक छोर संभाले रखा बल्कि इस बीच करारे शाट भी जमाए। करणवीर पर कवर और परविंदर अवाना के एक ओवर में लगाए गए दोनों छक्के दर्शनीय थे। उन्होंने इस बीच 31 गेंदों पर अपना अर्धशतक भी पूरा किया।
इसके बाद जब पठान ने लक्ष्मीपति बालाजी पर दो छक्के लगाए तो साहा की आक्रामकता पर उछलने वाली किंग्स इलेवन की सह मालकिन प्रीति जिंटा का चेहरा भी उतर गया। करणवीर ने अगले ओवर में जब पठान को कैच आउट कराया तो किंग्स इलेवन के प्रशंसकों में जान आई, लेकिन पांडे ने इसी ओवर में एक छक्का और चौका जड़कर उनकी खुशी काफूर कर दी। शाकिब अल हसन (12) और रेयान टेन डोएसे (4) ज्यादा देर नहीं टिक पाए।
पांडे ने इन दोनों को आउट करने वाले करणवीर पर छक्का और चौका लगाकर शतक के करीब पहुंचे, लेकिन इसी ओवर की आखिरी गेंद पर बैली को आसान कैच दे बैठे। जब पांडे आउट हुए तब केकेआर को 18 गेंद पर 21 रन चाहिए थे। ऐसे में जब तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई थी, तब पीयूष चावला ने जानसन पर छक्का जड़कर केकेआर की उम्मीदों पंख लगाये। आखिरी ओवर में केकेआर को जीत के लिये पांच रन चाहिए थे। चावला ने अवाना की फुलटास पर विजयी चौका जड़ा।
इससे पहले पंजाब ने बल्लेबाजी क्रम में बदलाव करके रक्षात्मक नीति अपनाई, लेकिन साहा ने वोहरा के साथ मिलकर इसमें आक्रामकता का पुट भर दिया। वोहरा ने आठवें ओवर में चावला पर पारी का पहला छक्का जड़कर पंजाब के समर्थकों में जोश भरा। इसके बाद चिन्नास्वामी स्टेडियम साहा के तूफानी तेवरों का गवाह बना। उन्होंने शाकिब की गेंद पर मिडविकेट पर छह रन के लिये भेजी तथा चावला पर लगातार दो छक्के लगाए। साहा ने नारायण के विशेष निशाना बनाया और उन पर तीन छक्के और इतने ही चौके लगाए। उन्होंने और वोहरा ने मोर्कल के एक ओवर में छक्के जड़कर उनको भी प्रभावहीन किया।
नारायण के पास साहा से बदला चुकता करने का मौका था, लेकिन उन्होंने अपनी ही गेंद पर उनका हवा में लहराता कैच छोड़ दिया। साहा ने इसका फायदा उठाकर 17वें ओवर में उमेश पर पहले दो चौके और फिर साइटस्क्रीन के पास छक्का जमा दिया। चावला ने अपनी ही गेंद पर दूसरे प्रयास में वोहरा का कैच लिया और फिर आखिरी गेंद पर नये बल्लेबाज मैक्सवेल को थर्ड मैन पर कैच कराया।
बिग हिटर मैक्सवेल का रिवर्स स्वीप सीधे मोर्कल के हाथों में चला गया था। नारायण जब 19वां ओवर करने आये तो साहा ने स्क्वायर लेग पर छक्का, मिडविकेट पर चौका और फिर लांग आन पर छक्का लगाया। इस छक्के से उन्होंने अपने करियर का पहला टी20 शतक भी पूरा किया। इसके लिये उन्होंने केवल 49 गेंद खेली। केकेआर की तरफ से चावला ने 44 रन देकर दो विकेट लिए।