इराकी कुर्दिश अधिकारियों ने दावा किया है कि इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने उनके खिलाफ लड़ाई में रासायनिक हमले (क्लोरीन गैस) का इस्तेमाल किया है। अधिकारियों ने कहा कि जनवरी में उत्तरी इराक में पेशमर्गा लड़ाकों के खिलाफ रासायनिक हमले हुए।
बयान में कहा गया कि पेशमर्गा ने आईएस द्वारा एक कार पर किए हमले के बाद वहां की मिट्टी व कपड़ों के नमूनों की जांच की। जांच में क्लोरीन की मौजूदगी देखी गई।हालांकि कुर्दिश अधिकारियों के इस दावे की पुष्टि नहीं हुई है।
गौरतलब है कि वर्ष 1997 में केमिकन वेपन्स कन्वेंशन ने क्लोरीन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी। नीदरलैंड्स स्थित रासायनिक हमलों पर प्रतिबंध से जुड़ी एक संस्था के प्रवक्ता पीटर सॉजैक ने कहा कि फिलहाल इराक ने रासायनिक हथियारों की जांच को लेकर संगठन से कोई मांग नहीं की है, जिससे ऐसे किसी दावे की पुष्टि नहीं की जा सकती।
हालांकि कुर्दिश अधिकारियों ने कहा कि यूरोपियन यूनियन द्वारा मान्यता प्राप्त एक लैब में ही नमूनों की जांच की गई।
वहीं, एक कुर्दिश सुरक्षाकर्मी ने कहा कि कार पर हुए इस रासायनिक हमलों के बाद कई पेशमर्गा लड़ाकों ने सेहत में खराबी की शिकायत की थी। इस बीच, अमेरिका ने भी एक बयान में कहा कि वह कुर्दिश अधिकारियों के दावे की पुष्टि नहीं कर सकते, लेकिन वह स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने 30 जनवरी को कहा था कि इस्लामिक स्टेट के रासायनिक हथियार बनाने वाले विशेषज्ञ की हवाई हमले में मौत हो गई।