हालांकि प्रधानमंत्री मोदी की ब्राजील यात्रा की शुरुआत से पहले कैबिनेट सचिवालय की ओर से एक नोट जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि बेहद जरूरी मामलों पर कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति यानी सीसीपीए फैसले करेगी। सीसीपीए में प्रधानमंत्री के अलावा दस और मंत्री हैं, जिनमें बीजेपी के छह और सहयोगी दलों के चार मंत्री शामिल हैं।
एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक, प्रधानमंत्री चाहे देश में रहे या विदेश में वह प्रधानमंत्री ही होता है और इसीलिए किसी अन्य मंत्री को दूसरे नंबर का दर्जा देने की जरूरत नहीं है। जहां तक संसद में उठने वाले मुद्दों का सवाल है, तो सत्र के दौरान हर रोज़ संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक होती है। प्रधानमंत्री के देश में रहने पर उनके कार्यालय में ये बैठक होती है। जबकि उनकी गैर मौजूदगी में संसदीय कार्यमंत्री के कार्यालय में ये बैठक आयोजित होती है, जिसमें संसद में उठने वाले संभावित मुद्दों पर रणनीति तय होती है।
इस समिति में प्रधानमंत्री के अलावा गृहमंत्री राजनाथ सिंह रक्षा और वित्तमंत्री अरुण जेटली संसदीय कार्यमंत्री एम वेंकैया नायडू और भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी शामिल हैं। प्रधानमंत्री की गैर मौजूदगी में बीजेपी संसदीय दल की बैठक भी होने जा रही है, जो संसदीय कार्यमंत्री नायडू ने आहूत की है। इसमें वरिष्ठतम नेता होने के नाते लालकृष्ण आडवाणी लोकसभा में संसदीय दल के उप नेता होने के नाते राजनाथ सिंह राज्य सभा में संसदीय दल के उपनेता होने के नाते अरुण जेटली और संसदीय कार्यमंत्री बैठक की अगुवाई करेंगे।
गौरतलब है कि बीजेपी संसदीय दल की कार्यकारिणी का भी गठन किया गया है, जिसमें राजनाथ सिंह और अरुण जेटली को उपनेता बनाया गया है। यानी दोनों को एक साथ रखा गया है। हालांकि यह स्पष्ट किया गया है कि जहां नरेंद्र मोदी लोकसभा के नेता हैं, वहीं राज्य सभा के नेता अरुण जेटली हैं। संसद में बैठने की जगह से भी दूसरे नंबर के नेता के बारे में भनक नहीं मिलती। लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी के साथ की जगह खाली है और उनके बाद राजनाथ सिंह का स्थान है। लेकिन जब जेटली बजट भाषण पढ़ने आए तब उन्हें मोदी के साथ जगह दी गई और राजनाथ उनके बगल में बैठे, जबकि राज्यसभा में जेटली पहले बैठते हैं और मोदी उनके बाद।
विश्लेषकों के मुताबिक, लोकसभा में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ की जगह खाली होती थी। जबकि पीवी नरसिंहराव के बगल में अर्जुन सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी के बगल में लालकृष्ण आडवाणी और मनमोहन सिंह के साथ प्रणब मुखर्जी लोकसभा में बैठते थे। केंद्रीय मंत्रिमंडल की सूची में राजनाथ सिंह का नाम मोदी के बाद आता है। उनके बाद सुषमा स्वराज और फिर अरुण जेटली का नाम है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की पहली बैठक में भी राजनाथ सिंह मोदी के साथ बैठे थे।
प्रधानमंत्री के बाद कौन? यह सस्पेंस यूपीए सरकार में भी लंबे वक्त तक बना रहा था। इसका जवाब जनवरी 2009 में मिला था, जब मनमोहन सिंह की बायपास सजर्री हुई थी और तब प्रणब मुखर्जी को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता करने को कहा गया था। लेकिन कुछ ही समय बाद 26 जनवरी को रक्षामंत्री एके एंटनी को गणतंत्र दिवस समारोह की अगुवाई करने का मौका दिया गया। यानी मंत्रिमंडल में दूसरे नंबर के नेता को लेकर असमंजस कोई नई बात नहीं है। शायद प्रधानमंत्रियों को भी ये जंचता है कि इस बारे में तस्वीर धुंधली ही बनी रहे।