इशरत जहां मुठभेड़ मामले में CBI आज अहमदाबाद स्थित विशेष अदालत में आरोप-पत्र दायर करने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, पहले आरोप पत्र में सिर्फ उन पुलिसवालों के नाम होंगे, जो मुठभेड़ के वक्त मौके पर मौजूद थे।
गुजरात हाई कोर्ट के निर्देश पर इशरत जहां एनकाउंटर केस में आज दाखिल होने वाली चार्जशीट में CBI इशरत को लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी नहीं करार देगी। CBI अदालत को सिर्फ इतना बताएगी कि इशरत के साथ मारे गए दो पाकिस्तानी तीन हफ्ते से ज्यादा समय तक इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की हिरासत में थे और फिर गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दिया। इसके बाद गुजरात पुलिस ने चारों को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया।
सूत्रों के मुताबिक़ हाल ही में CBI ने इस मामले में आईबी के अधिकारी राजेंद्र कुमार से भी पूछताछ कर हड़कंप मचा दिया था। पहली बार खुफिया जानकारियों को लेकर दो केंद्रीय एजेंसियों की तकरार खुलकर सामने आई थी। खबर है कि गृहमंत्रालय के दखल के बाद अब CBI, आईबी अधिकारी राजेंद्र कुमार का नाम भी अपनी चार्जशीट में नहीं डालेगी।
बताया जा रहा है कि CBI नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राजेंद्र कुमार के खिलाफ अभी और पुख्ता सबूत इकट्ठा करना चाहती है। सूत्रों की मानें तो जिन अधिकारियों पर CBI फर्जी एनकाउंटर के आरोप लगाने वाली है उनमें आईपीएस अधिकारी जी एल सिंघल, आईपीएस अधिकारी डी जी वनजारा, डिप्टी एसपी नरेंद्र अमीन, पुलिस अधिकारी जी जे परमार, फरार आईपीएस अधिकारी पी पी पांडेए डिप्टी एसपी तरुण बारोट और आईपीएस अधिकारी के आर कौशिक का नाम शामिल है।
यह एनकाउंटर यों तो अक्सर सु्र्खियों में रहता है, लेकिन इन दिनों यह इसलिए भी सुर्खियों में क्योंकि बीते कुछ दिन पहले ही प्रतिष्ठित मैगजीन ‘तहलका’ ने कुछ अधिकारियों के बयान के आधार पर एक रिपोर्ट छापी थी जिसमें दावा किया गया है कि इशरत जहां एनकाउंटर की जानकारी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के तत्कालीन मंत्री अमित शाह को थी।
सूत्रों के मुताबिक़ इस बात से इनकार किया गया है कि राजेंद्र कुमार पर मुकदमा चलाने के लिए CBI को किसी तरह की इजाजत लेने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि इस मामले में उनकी भूमिका की और जांच की जा रही है और उन्हें पूछताछ के लिए फिर बुलाया जा सकता है। राजेंद्र कुमार 31 जुलाई को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) से रिटायर हो जाएंगे।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान CBI को संकेत मिले कि राजेंद्र कुमार की भूमिका सिर्फ खुफिया जानकारी देने तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि मुठभेड़ में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। गुजरात हाईकोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने इस मुठभेड़ को फर्जी घोषित किया था और एक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने मामले की तफ्तीश की थी।
दरअसल 15 जून 2004 को अहमदाबाद के नरोडा इलाके में इशरत और उसके तीन दोस्तों को पुलिस ने मार गिराया था। गुजरात पुलिस का दावा था कि ये चारों मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के इरादे से आए थे और वो मुठभेड़ में मारे गए थे। CBI ये साबित करने की कोशिश में भी जुटी है कि ये मुठभेड़ फर्जी थी औ इसकी जानकारी मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके करीबी अमित शाह को पहले से थी।
CBI का दावा है कि उनके पास पुलिस के कुछ ऐसे गवाह भी हैं जिनके पास वो रिकॉर्डिंग है, जिसमें डीजी वनजारा ने आईबी अधिकारी राजेन्द्र कुमार को इशारों में बताया था कि मोदी और अमित शाह को मुठभेड़ की पूरी जानकारी है। जाहिर है ये खुलासे अब तक इस मामले से बचते दिख रहे नरेन्द्र मोदी को परेशानियों में डाल सकते हैं।