एक तरफ पूरा यूरोप रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कई तरह की परेशानी उठा रहा है तो दूसरी ओर उसकी चिंता हाल ही में आई एक खबर ने बढ़ा दी है. दरअसल, यह खबर है आंतकवाद से जुड़ी हुई. यूएस इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामिक स्टेट रासायनिक हथियारों को विकसित करने की कोशिश कर रहा है और वह इसके काफी करीब पहुंच चुका है. इन हथियारों का इस्तेमाल वह पश्चिमी यूरोप के देशों पर कर सकता है. इस खबर के आने के बाद से पूरे यूरोप की टेंशन बढ़ गई है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आइएसआईएस 2014 से ही केमिकल वेपन पर काम कर रहा है. इस काम के लिए इस्लामिक स्टेट ने इराक के वैज्ञानिक को लगा रखा है. जानकारी के अनुसार, साइंटिस्ट सालिह अल सबावी इस प्रोजेक्ट पर लगा हुआ है. वह कई हथियार बना भी चुका है, जबकि कई पर काम कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, ये हथियार यूरोप के लिए ही बनाए जा रहे हैं.
अल सबावी सोविय संघ द्वारा ट्रेंड किया गया था. वह सद्दाम हुसैन के वक्त इराक मिलिट्री में भी काम कर चुका है. सद्दाम हुसैन के सत्ता में रहने के दौरान वह केमिकल हथियार बना चुका है. सद्दाम हुसैन की मौत के बाद उसने अलकायदा को जॉइन किया. 2005 में उसे जेल भेज दिया गया. 2014 में जब वह जेल से छूटकर आया तो उसने आईएसआईएस के लिए काम करना शुरू किया. बगदादी ने उसे केमिकल वेपन बनाने के लिए अपनी टीम में शामिल किया. इसके बाद वह इसमें जुट गया. उसने सबसे पहले मस्टर्ड गैस वेपन बनाया. इसका ट्रायल भी उसने किया. इसके अलावा भी वह कई खतरनाक केमिकल हथियार बना चुका है.
यूरोप में भी पैर पसार रहा आतंकवाद
देशों में आतंकी हमले हुए हैं. यूरोप में आतंकी हमलों का सबसे ज्यादा शिकार फ्रांस हुआ है. 1 नवंबर 2020 को फ्रांस के लियोन शहर में एक यूनानी पादरी को उनके गिरजाघर के बाहर गोली मार दी गई थी. 29 अक्तूबर 2020 को फ्रांस के नीस शहर स्थित एक चर्च में हमलावर ने ‘अल्लाहू अकबर’ चिल्लाते हुए एक महिला का गला काट दिया और दो अन्य लोगों की चाकू मारकर निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी. 17 अक्तूबर 2020 को फ्रांसीसी स्कूल शिक्षक सैमुअल पैटी की पेरिस उपनगर में सिर कलम कर दिया गया. पैटी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता विषय पर पढ़ाते हुए पैगंबर मोहम्मद के एक कार्टून को अपने स्टूडेंट्स को दिखाया था. 7 अप्रैल 201 को जर्मनी के म्युएन्स्टर शहर में एक आतंकी ने वैन से रेस्तरां के बाहर बैठे कई लोगों को कुचल दिया.