भारत में दो साल से खाली पड़े अमेरिका के स्थायी राजदूत के पद पर तैनाती हो गई है. अमेरिकी सीनेट ने एरिक गार्सेटी को भारत का राजदूत बनाए जाने पर मुहर लगा दी है. उनकी नियुक्ति पिछले दो साल से अटकी हुई है. जो बाइडेन के खास माने जााने वाले गार्सेटी की नियुक्ति के एलान के साथ ही उनके कुछ पुराने बयान भी चर्चा में आ गए हैं जो मोदी सरकार को असहज करने वाले हैं. इसे लेकर इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में भारतीय विदेश मंत्री से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वह इससे कैसे निबटेंगे.
52 वर्षीय गार्सेटी भारत में मानवाधिकारों को लेकर खुल कर बोलते रहे हैं. उन्होंने मोदी सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण बताया था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि यह कानून उनके एजेंडे में रहेगा.
प्यार से समझा देंगे- जयशंकर
अब गार्सेटी को भारत का राजदूत बनाए जाने पर जब जयशंकर से इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में सवाल किया गया तो उन्होंने हंसकर कहा, उन्हें आने दीजिए प्यार से समझा देंगे. सीएए को लेकर जयशंकर ने तंज कसते हुए कहा, सामान्य ज्ञान को पॉलिटिकल करेक्टनेस का गुलाम नहीं होना चाहिए. लॉटेनबर्ग संशोधन और स्पेक्टर संसोधन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि यूरोप में भी ऐसी नीतियां चलन में हैं, जो खास धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए अमेरिकी नागरिकता प्रक्रिया में तेजी लाने की बात कहती हैं.
कौन हैं एरिक गार्सेटी?
एरिक गार्सेटी लॉस एंजेलस के पूर्व मेयर रहे हैं. बुधवार (15 मार्च) को भारत के राजदूत के रूप में उनके नामांकन पर सीनेट ने 52-42 के वोट से मुहर लगाई. अमेरिकी कांग्रेस में उनका नामांक 2021 से अटका पड़ा था.
2021 में कन्फर्मेशन की सुनवाई के दौरान गार्सेटी ने सीएए को लेकर एक सवाल के जवाब में बताया था कि वह दिल्ली में मानवाधिकार के मुद्दे को उठाते रहेंगे.