मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के घोघल गांव में ओंकारेश्वर बांध के विस्थापित 21 दिनों से जल सत्याग्रह कर रहे हैं। नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले करीब चालीस किसान पानी में धरने पर है और सरकार से जमीन के बदले जमीन की मांग कर रहे हैं।
पीड़ित किसान आर-पार की लड़ाई लड़ रहे हैं। इन आंदोलन को आम आदमी पार्टी का पूरा समर्थन है। दूसरी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि बांध में 191 मीटर से कम पानी नहीं किया जा सकता क्योंकि ऐसा करने पर दूसरे किसानो को पानी नहीं मिलेगा।
घोघल गाँव में आसपास करीब 200 एकड़ जमीन में ओंकारेश्वर बांध का पानी भर गया है। बांध में 191 मीटर तक पानी भरा गया है। ये जल सत्याग्रह गांव के ही रमेश तिरोले रोले के खेत में हो रहा है। उसके साढ़े चार एकड़ खेत में मूंग की फसल में पानी भर गया और आज वो भी पंद्रह दिन से इसी सत्याग्रह में आंदोलन पर हैं। शंकर लाल का कहना है कि उसकी जमीन डूब गई है। सरकार ने उससे जमीन के बदले जमीन देने का वादा किया था। इसके बदले उसने जो पैसा मिला था वो भी सरकार को वापस कर दिया। अब उसके पास जल समाधि लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।
शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि इससे कम पानी भरने पर नहरों में पानी नहीं जाता है। मुख्यमंत्री ने नर्मदा बचाओ आंदोलन पर पलटवार करते हुए कहा कि वो चाहती ही नहीं है कि ये मुद्दा खत्म हो नहीं क्योंकि इससे उनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा। शिवराज का कहना है कि अभी तक 213 किसानों का मुआवजा को लेकर विसंगति है क्योंकि उनको जो जमीन बताई है वो उन्हें पसंद नहीं है बाकी सभी लोगों को मुआवजा दिया जा चुका है।