प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के उनके समकक्ष शिंज़ो आबे ने शिखर वार्ता के दौरान अपनी सामरिक भागीदारी में द्विपक्षीय रक्षा संबंधों के महत्व की पुष्टि की और रक्षा उपकरणों तथा प्रौद्योगिकी में सहयोग का और अधिक विस्तार करने पर सहमत हुए।
मोदी की पांच दिवसीय जापान यात्रा के तीसरे दिन दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच शिखर वार्ता हुई। इसमें दोनों देश यूएस-2 नभ-जल विमान भारत को बेचने संबंधी वार्ता तेज करने भी सहमत हुए।
शिखर वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आबे ने घोषणा की कि भारत-जापान सहयोग की मिसाल के तौर पर तोक्यो भारत को वित्तीय, प्रौद्योगिकी और बुलेट ट्रेन के संचालन में सहयोग करेगा।
मोदी ने कहा कि मैंने पीएम बनने के बाद फैसला किया था कि पहला द्विपक्षीय दौरा जापान का होगी। मुझे खुशी है कि पीएम बनने के 100 दिन के भीतर यह अवसर दिया यहां आने का और मेरी जो पीएम अबे से बहुत पुरानी दोस्ती है, उसे और मजबूत किया।
ये इस बात का प्रमाण है कि भारत जापान को सबसे घनिष्ठ और भरोसेमंद मित्र के रूप में समझता है। भारत के विकास में जापान की महत्वपूर्ण भूमिका है। हम दो शांतिप्रिय लोकतांत्रिक देशों की साझेदारी इस क्षेत्र में विश्व शांति के लिए प्रभावशाली भूमिका निभा सकती है।
जिस प्रकार से प्रधानमंत्री अबे ने क्योटो और टोक्यो में हमारा स्वागत और सम्मान किया और अपना अमूल्य समय दिया, इसके लिए ह्रदय से आभार प्रकट करता हूं। ये उनके भारत के प्रति प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।यहां के लोगों से मिलकर और उनका भारत के प्रति आदर देखकर मुझे अत्यंत खुशी हुई है। क्योटो में भेंट और एक शिखर सम्मेलन से मैं केवल संतुष्ट ही नहीं हूं। बल्कि मुझमें इस भारत और जापान की साझेदारी का विश्वास और गहरा हो गया है। एक नया विश्वास और नई उम्मीद जगी है।