महादलित समुदाय से ताल्लुाक रखने वाले मांझी फिलहाल मखदूमपुर से विधायक हैं। साल 1980 में सियासत में कदम रखने वाले मांझी 1983 में पहली बार मंत्री बने थे। 2008 से नीतीश सरकार में मंत्री रहे जीतन राम इस बार गया (सुरक्षित) सीट से लोकसभा चुनाव भी लड़े थे लेकिन चुनाव हार गए।
नीतीश कुमार को उम्मीद है कि महादलित समुदाय से आने वाले मांझी के मुख्यमंत्री बनने से इस समुदाय का फिर से उन्हें समर्थन मिलेगा। मांझी ने बचपन में बाल मजदूरी की, फिर कई दफ्तरों में क्लर्की करने के बाद राजनीति में आए और मंत्री बने। वह बिहार के गया जिले से आते हैं। वह गया से लोकसभा चुनाव भी लड़े थे और तीसरे स्थान पर रहे थे।
बिहार में दलितों के लिए उन्होंने विशेष तौर पर काम किया। उनके प्रयास से दलितों के लिए बजट में खासा इजाफा हुआ। वर्ष 2005 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए बिहार सरकार का बजट 48 से 50 करोड़ रुपये का होता था, जो कि 2013 में 1200 करोड़ रुपये का हो गया। वर्ष 2005 में बिहार का जितना संपूर्ण बजट हुआ करता था, आज उतना सिर्फ दलित समुदाय के लिए होता है।
नए मुख्यमंत्री के रूप में मांझी के नाम का ऐलान करने के बाद नीतीश कुमार ने अपने इस्तीफे पर एक बार फिर सफाई देते हुए कहा, ‘मैंने नैतिक मूल्यों के आधार पर इस्तीफा दिया है। मैंने अपने अंतर्मन की आवाज सुनी। यह बात समझी जानी चाहिए। मैंने किसी भावावेश में नहीं, बल्कि सोच-समझ कर इस्तीफा दिया है।’
गौरतलब है कि आम चुनाव में अपनी पार्टी को मात्र दो सीटें मिलने से हतप्रभ नीतीश कुमार ने शनिवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। जद(यू) विधायक दल ने रविवार को फिर से उन्हें ही नेता चुना, लेकिन नीतीश नहीं माने। सोमवार को दोबारा बैठक हुई, जिसमें पार्टी विधायकों ने नीतीश को ही नया नेता तय करने की जिम्मेदारी सौंपी।