झारखंड भाजपा में फिलहाल सतह पर खामोशी लेकिन अंदर अंदर जबर्दस्त गहमागहमी है। लोकसभा चुनाव का टिकट हथियाने और विरोधियों को निपटाने की कवायद पूरी ताकत से जारी है। सबको पता है कि टिकटों का मसला दिल्ली,नागपुर और अहमदाबाद से ही तय होना है सो दोनों तरह का अभीष्ट रखनेवाले नेता इन तीर्थस्थलों की लगातार परिक्रमा कर रहे हैं। आठ मार्च को भाजपा की झारखंड चुनाव समिति की बैठक होगी।
इसी बैठक में पार्टी के संभावित उम्मीदवारों की फेहरिस्त तैयार होगी जिसे केन्द्रीय नेतृत्व को अग्रसारित किया जायेगा। सात मार्च से ही दिल्ली में भाजपा की राष्ट्रीय चुनाव समिति की बैठक शुरू होगी जो लगातार चार पांच दिनों तक चलेगी। माना जा रहा है कि इसी दौरान पार्टी झारखंड के उम्मीदवारों के नामों का ऐलान भी करेगी।
भाजपा सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक पार्टी में हर सीट के लिए कई कई दावेदार हैं। आम तौर पर सीटिंग गेटिंग का फार्मूला सबसे ज्यादा स्वीकार्य माना जाता है, लेकिन इस बार भाजपा में उन सीटों पर ही नए टिकटार्थियों की भीड़ ज्यादा है जो फिलहाल भाजपा के कब्जे में हैं।
यशवंत और दुबे का टिकट तय
झारखंड भाजपा में जिन वर्तमान सांसदों की उम्मीदवारी सुरक्षित मानी जा रही है उनमें हजारीबाग से यशवंत सिन्हा और गोड्डा से निशिकांत दूबे शामिल हैं। यह भी संभावना है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व बडी़ जिम्मेवारी देकर यशवंत सिन्हा को लोकसभा चुनाव लड़ने से रोक सकता है। ऐसी स्थिति में यदुनाथ पाण्डेय अपनी दावेदारी आगे बढ़ा सकते हैं, लेकिन चर्चा यह भी है कि यशवंत सिन्हा यह सीट अपने पुत्र जयंत सिन्हा के लिए मांग सकते हैं।
अर्जुन जायेंगे खूंटी!
शीर्ष नेतृत्व की जिद पर अगर अर्जुन मुंडा को चुनाव लड़ना पड़ा तो वे जमशेदपुर की बजाय खूंटी का ऑप्शन दे सकते हैं। वैसे भी खूंटी में कडि़या मुंडा की स्थिति कुछ खास बेहतर नहीं है और अर्जुन मुंडा जैसा बेहतर विकल्प मिलने की स्थिति में पार्टी का शीर्ष नेतृत्व कडि़या मुंडा का टिकट काटने पर विचार कर भी सकता है।
रवींद्र पर खतरा
गिरिडीह सीट फिलहाल भाजपा के कब्जे में है, रवीन्द्र पाण्डेय यहां से सांसद हैं। लेकिन इस सीट के लिए भी विरंची नारायण, राजकिशोर महतो और योगेश्वर महतो बाटुल जोर आजमाईश कर रहे हैं। माना जा रहा है कि कोबरा पोस्ट स्टिंग में नाम आने और कार्यकर्ताओं में नाराजगी की वजह से रवीन्द्र पाण्डेय का टिकट कट सकता है।
चाईबासा-पलामू में नये चेहरे
चाईबासा सीट पर बड़कुंवर गगराई और लक्ष्मण गिलुवा दावेदार हैं। पलामू लोकसभा सीट पर पूर्व डीजीपी बी डी राम की दावेदारी पक्की मानी जा रही है लेकिन ब्रजमोहन राम अभी भी इसी कोशिश में हैं कि उन्हें मौका मिल जाय।
देवीधन पर संशय
राजमहल के वर्तमान सांसद देवीधन बेसरा की दावेदारी भी खतरे में बतायी जा रही है। माना जा रहा है कि पार्टी इस सीट पर ताला मरांडी या सोम मरांडी को उतार सकती है।
रामटहल आगे, सीपी का भी दावा
रांची सीट पर फिलहाल रामटहल चैधरी की दावेदारी को कोई खतरा नहीं दिख रहा, लेकिन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सी पी सिंह ने भी अपनी दावेदारी आगे बढ़ा दी है।
कोडरमा में रवींद्र राय
कोडरमा सीट पर प्रदेश अध्यक्ष रवीन्द्र राय की दावेदारी सबसे मजबूत है लेकिन पूर्व राज्यसभा सांसद जेपीएन सिंह, लक्ष्मण स्वर्णकार और विधायक अमित यादव भी टिकट पाने की जुगत में हैं।
जमशेदपुर
जमशेदपुर सीट पर स्थिति बड़ी मजेदार है। यहां अर्जुन मुंडा रघुवर दास को उम्मीदवार बनाने की कोशिश में हैं और रघुवर दास चाहते हैं कि अर्जुन मुंडा इस सीट से उम्मीदवार बनें। अगर दोनों अपने प्रयास में कामयाब नहीं हो सके तो अमरप्रीत सिंह काले अपनी दावेदारी आगे बढ़ाने के मूड में हैं। वैसे इस सीट के लिए सरयू राय के नाम की भी चर्चा है और कहा जा रहा है कि धनबाद में दाल नहीं गली तो विमलकीर्ति सिंह जमशेदपुर सीट के लिए भी जोर लगायेंगे।
दुमका और चतरा
दुमका सीट पर सुनील मरांडी और लुईस मरांडी का नाम चर्चा में है। चतरा सीट पर पार्टी इंदरसिंह नामधारी को आजमाना चाहती है लेकिन इसके लिए उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने का अल्टीमेटम दिया गया है। वैसे इस सीट के लिए सुनील सिंह और युगलकिशोर खंडेलवाल भी जोर लगा रहे हैं।
लोहरदगा में सुदर्शन या अरुण
लोहरदगा के सांसद सुदर्शन भगत को संघ का दुलारा माना जाता है लेकिन इस बार उनकी उम्मीदवारी पर भी खतरा है, ऐसा कहा जा रहा है। यह संकेत मिलते ही दुखा भगत,अरूण उरांव और दिनेश उरांव उनकी जगह लेने की कोशिश में लग गए हैं।