नई दिल्ली : JNU में सरकारी विरोधी प्रदर्शनों के बीच यूनिवर्सिटी को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। आरटीआई में पता चला है कि यहां पढ़ रहे 82 छात्र किन देशों के हैं। दरअसल, JNU में भारत के अलावा 48 देशों के 301 विदेशी छात्र-छात्राएं भी पढ़ते हैं। सूचना के अधिकार के तहत विदेशी छात्रों को विवरण मांगा गया था, जिसके जवाब में JNU प्रशासन की ओर से बताया गया कि उन्हें 82 छात्रों के देश के बारे में जानकारी नहीं है। पढिए नरेंद्र शर्मा की रिपोर्ट –
राजस्थान में कोटा के सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत स्वामी ने यह आरटीआई आवेदन लगाया था। सुजीत स्वामी ने 5 जनवरी को आवेदन देकर कुछ सवालों के जवाब मांगे थे। इनमें पूछा गया था कि JNU में कितने छात्र पढ़ रहे हैं, किस-किस प्रोग्राम में कितने स्टूडेंटस हैं, कितने विदेशी स्टूडेंटस हैं और वे किस-किस देश से आए हैं?
यूनिवर्सिटी की ओर से 14 जनवरी को निदेशक संजीव कुमार ने सवालों के जवाब दिए। बताया गया कि 82 छात्रों के बारे में पता नहीं है कि वे किस देश के हैं। जेएनयू प्रशासन ने बताया कि 48 देशों के 301 विदेश छात्र-छात्राएं जेएनयू में पढ़ रहे हैं। जिन 82 छात्रों की नागरिकता पता नहीं है, उनके नामों के आगे ‘नॉट अवेलेबल’ लिखा गया है। ये विदेशी छात्र 78 अलग-अलग कोर्स में पढ़ रहे हैं।
अब सुजीत स्वामी का कहना है कि ‘नॉट अवेलेबल’ श्रेणी में 82 छात्र बताए गए हैं। इसका मतलब है कि इन स्टूडेंट्स की राष्ट्रीयता की जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन के पास नहीं है। बहरहाल, इस खुलासे के बाद सवाल उठ रहे हैं कि इन स्टूडेंट्स को प्रवेश कैसे दे दिया गया? यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। प्रवेश देते समय इनकी राष्ट्रीयता की जानकारी क्यों नहीं ली गई? कहीं ऐसे ही बाहरी तत्वों की वजह से जेएनयू बदनाम नहीं हो रहा?