नई दिल्ली : CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ बगावत कर प्रेस कांफ्रेस करने वाले जस्टिस चेलमेश्वर आज होंगे सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होंगे। न्यायाधीश चेलमेश्वर शुक्रवार को 65 साल के हो गए हैं। वह 9 न्यायाधीशों की उस पीठ का हिस्सा थे जिसने ऐतिहासिक फैसले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया था। वह न्यायमूर्ति जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्ति से संबंधित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को निरस्त किया था। हालांकि, चेलमेश्वर पीठ से अलग फैसला देने वाले एकमात्र न्यायाधीश थे। उन्होंने कहा था, ‘‘कॉलेजियम की कार्यवाही पूरी तरह से अस्पष्ट और जनता तथा इतिहास के लिए पहुंच से दूर है।
आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के मोव्या मंडल के पेड्डा मुत्तेवी में 23 जून 1953 को जन्मे चेलमेश्वर की शुरुआती पढाई कृष्णा जिले के मछलीपत्तनम के हिन्दू हाईस्कूल से हुई। उन्होंने ग्रेजुएशन चेन्नई के लोयोला कालेज से फिजिक्स विज्ञान में किया। उन्होंने कानून की डिग्री 1976 में विशाखापत्तनम के आंध्र विश्वविद्यालय से ली। वह तीन मई 2007 को गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने थे। बाद में केरल उच्च न्यायालय में स्थानान्तरित हुए। न्यायमूर्ति चेलमेश्वर 10 अक्तूबर 2011 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बने थे।
चेलमेश्वर शीर्ष अदालत में करीब सात साल रहने के बाद शुक्रवार यानि आज रिटायर होंगे। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, एम बी लोकुर और कुरियन जोसेफ के साथ मिलकर चेलमेश्वर ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया की रहस्यमय मौत के संवेदनशील मामले सहित अन्य मामलों पर सवाल उठाए थे। बता दें कि लोया की एक दिसंबर 2014 को मौत हो गई थी।
12 जनवरी को संवाददाता सम्मेलन की घटना उच्चतम न्यायालय के इतिहास में पहली बार हुई। इसने अदालत के गलियारे में हलचल मचा दी और पूरा देश आश्चर्यचकित रह गया। न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कड़ी टिप्पणियों में कहा था, ‘‘कई चीजें पिछले कुछ महीनों में ऐसी हुई जो सही नहीं हैं। जब तक इस संस्थान (उच्चतम न्यायालय) को संरक्षित नहीं किया जाता और जब तक यह अपना संतुलन नहीं बना सकता, इस देश में लोकतंत्र कायम नहीं रह जाएगा। अच्छे लोकतंत्र की पहचान निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायाधीश होते हैं।’’