दिल्ली में बाल अपराधी पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। कुछ गलत संगत की वजह से खेलने-पढ़ने की उम्र में ही
अपराध कर बैठते हैं तो वहीं कई संगठित गिरोह नाबालिक से वारदात करा रहे हैं। वहीं नाबालिगों के कुछ गिरोह संगठित तरीके से वारदात को अंजाम दे रहे हैं। हत्या, दुष्कर्म व अगवा करने जैसी जघन्य वारदातों में पकड़े जाने वालों में बड़ी संख्या नाबालिगों की है।
NCRB के अनुसार बाल अपराधियों में सबसे बड़ी तादात ऐसे बच्चों की है, जो अपने परिजनों के साथ रहते हैं। अपराध में शामिल नाबालिगों में अशिक्षित बच्चे सबसे कम है। लगातार अपराध करने वाले किशोरों की भी बढ़ती संख्या कम नहीं हो रही है। देश के बच्चों और किशोरों में इस तरह से बढ़ते अपराधों की संख्या हमारे समाज पर बहुत बड़ा आघात है। जो देश के भविष्य को बिगाड़ रहा है।