जैसा की हम सब यह जानते हैं कि स्मार्ट-फ़ोन हमरे बिच एक सशक्त माध्यम के रूप में उभरा है और जिसमें हमारे सामाजिक सरोकार को सशक्त करने की अपार संभावनाएं हैं। स्मार्ट-फ़ोन अपेक्षाकृत एक नया शब्द है जिसे लगभग सारी भाषाओँ ने एकरूपता से बिना अनुवाद के झंझट में पड़े, स्वीकारा है। एरिक्सन ने 1997 में अपने एक लोकप्रिय मोबाइल मॉडल GS 88 के लिए स्मार्ट-फ़ोन शब्द का इस्तेमाल किया था और वहीं से इसके बारे में लोगों ने जाना। स्मार्ट फ़ोन से हमारा तात्पर्य ऐसे फ़ोन से है जिसमे कंप्यूटर और मोबाइल दोनों की खूबियाँ एक साथ मिलती हैं ।
भारत में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या का दस प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्सा स्मार्ट फोंस को उपयोग करता है और इसका चलन शहरी भागों में ज्यादा है। इसके त्वरित विकास की पुरजोर संभावनाएं हैं और इस बात का एहसास दुनिया की सभी मोबाइल कंपनियों को भी है।
यह तो कहा ही गया है कि व्यवसाय का मूलमंत्र होता है मुनाफा और मुनाफे के लिए दीन- धर्म जाती और देश सबसे परे सोचना व्यवसाइ होने का पहला पाठ है। प्रश्न यह है की इस एक आम उपभोक्ता अपने लिए कैसे एक सही उपकरण का चुनाव करे और कैसे विज्ञापनों के प्रपंच से बचा रहे। होता यह है के स्मार्ट फ़ोन खरीदने से पहले हम यह चाहते हैं की ज्यादा से ज्यादा तकनीक का समावेश मिले और फिर ऐसा वक़्त शीघ्र ही आता है जब फ़ोन के एप्लीकेशन बंद रख-रख कर बैटरी बचाते हैं। इसे अगर हम डिजिटल डाइलेमा कहें तो सही लगता है।
स्मार्ट फ़ोन और आम मोबाइल में कोई बहुत बड़ा नहीं है। स्मार्ट फ़ोन की जो सबसे बड़ी खूबी होती है वह होता उसका बड़ा स्क्रीन और विश्वजाल से जुड़ने की उसकी क्षमता। आपका काम अगर इन दो सुविधाओं के बिना भी चल सकता है तो स्मार्ट फ़ोन ‘खरीदने की चाहत’ पर आप फिर से विचार कर सकते हैं।
कैसे करें सही स्मार्ट फ़ोन का चुनाव :
मोबाइल ऑपरेटर का चुनाव : अगर आपके लिए स्मार्ट फ़ोन का चुनाव पिछले साल कठिन था तो यकीन मानिए यह अब और कठिन होने वाला है। बाजार में विकल्पों की ऐसी आंधी है के अच्छे से अच्छे खरीदारों की धड़कने तेज हो जाए। सबसे पहले आप यह पता करें की किस मोबाइल ऑपरेटर की कवरेज कैपेसिटी आपके इलाके में सबसे अच्छी है। स्मार्ट-फ़ोन कमो-बेस एक ज्ञान चूसक यन्त्र है जिसकी भूख अंतरजाल के बिना मिटती नहीं है। स्मार्ट फ़ोन को स्मार्ट रखने के लिए सिग्नल की पड़ताल बड़ा जरूरी है वरना संयंत्र कितना भी अच्छा हो, रोता ही रहेगा। यह भी पता करें की आपके शहर में किसका डाटा प्लान सबसे बेहतर है
ऑपरेटिंग सिस्टम:
किसी भी स्मार्ट फ़ोन को स्मार्ट उसके सिस्टम्स बनाते है। ऑपरेटिंग सिस्टम यह व्याख्या करता है कि आपका स्मार्ट फ़ोन किस हद तक आपके यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाएग। स्मार्ट फ़ोन में इस्तेमाल होने वाले कुछ सबसे लोकप्रिय OS इस प्रकार हैं:
एंड्राइड (जेली बीन) : गूगल का एंड्राइड ओ एस आज दुनिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला OS (ऑपरेटिंग सिस्टम) है। पहली खूबी तो यह के एंड्राइड का इस्तेमाल सरल है और सतत अपग्रेड होते इसके एप्लीकेशन किसी भी दूसरे OS से बेहतर है। दूसरी बात यह की ओपन सोर्स OS होने के कारण उपभोक्ता अपनी सुविधा के अनुसार जैसा मन करे वैसे कस्टमाइज कर सकते हैं। तीसरी सबसे अच्छी बात यह के इसने स्मार्ट फोंस की तकनीक को पॉकेट फ्रेंडली बना दिया है। आपका बजट कोई भी हो अगर आप स्मार्ट फ़ोन खरीदते हैं तो वह एंड्राइड ही होगा।
एंड्राइड का नकारात्मक पहलू यह है की यह एक ओपन सोर्स OS है और यहाँ मैलवेयर या वायरस की समस्या लगी रहेगी। एंड्राइड ओ एस का उपग्रेडेशन प्रक्रिया भी धीमी है और बाकी OS की तरह सारे एंड्राइड फ़ोन अपने आप अप ग्रेड नहीं हो पाते। एक और महत्वपूर्ण बात के एंड्राइड ओ एस बैटरी का दोस्त बिलकुल नहीं होता।
एप्पल (iOS 6): दो कारण है जिसने एप्पल ओ एस को आज भी लोकप्रिय बनाये रखा है। पहला इसका यूजर फ्रेंडली होने और दूसरा एप्लीकेशन की भरमार होना। एप्पल का इस्तेमाल आप पहले दिन से ही बखूबी कर सकते हैं और इसके लिए आपको कुछ सीखने की आवश्यकता नहीं होगी। आज लगभग ८ लाख अप्प्स के साथ यह सभी ओ एस का सिरमौर है। और एप्पल ओ एस हमेशा से बैटरी का दोस्त रहा है।
एप्पल ओ एस एक क्लोज्ड एंडेड ओ एस है इसका मतलब जो कंपनी ने दिया है आपको उसी से काम चलाना होगा आप एंड्राइड की तरह चीज़ों को कस्टमाइज नहीं कर सकते। इसका एक फायदा यह है की अगर कोई अपग्रेडेशन होता है तो आप इसे बिना किसी मिडिलमैन की सहायता से कर सकते है। इसके लिए आपको माइक्रो मैक्स, सैमसंग या फिर HTC के पास नहीं जाना होगा। एक और अहम् बात यह की एप्पल आज भी अपनी कीमतों की वजह से आम फ़ोन नहीं बन पाया है।
ब्लैकबेरी 10: यह एक ऐसा ओ एस है जिसे मल्टीटास्किंग के लिए ही बनाया गया है। वैसे भी ब्लैकबेरी ऐसे लोगों का चहेता रहा है जिन्हें कई सारे काम एक साथ ही करने होते हैं। ब्लैकबेरी हब से बहुत से अलग-अलग एप्लीकेशन चाहे वह ई-मेल हो या गेम्स को बिलकुल अलग-अलग रखा जा सकता है व इस्तेमाल किया जा सकता है। अच्छी बात यह भी है के लांच होने के बाद ही इसके पास एक लाख से ज्यादा अप्प्स रेडी थे।
ब्लैकबेरी ओ एस 10 फ़ोन महंगा तो है ही इसके बाकी फीचर्स, चाहे वह एंड्राइड सरीखे समुन्नत प्रोसेसर हों या स्क्रीन साइज़ अभी भी ज़माने के पीछे ही चल रहे हैं।
विंडोज फ़ोन 8: फर्स्ट टाइम स्मार्ट फ़ोन इस्तेमाल करने वालों के लिए सबसे अच्छा ओ एस है जो अपने लाइव टाइल इंटरफ़ेस से आपका मन मोह सकता है। सारे अपडेट आपको होम स्क्रीन पर बड़े बड़े चोकौर बॉक्सेस में मिल जाते हैं। चटक रंगों के इस्तेमाल से इसका उपयोग और रोचक हो जाता है। बैटरी की खपत बाकी के सभी ओ एस से कम है। लेकिन जब हम इसकी तुलना एंड्राइड के आधुनिकतम अनुभव से करते हैं तब विंडोज ओ इस पीछे छूट जाता है। विंडोज के अप्प्स की संख्या में काफी वृद्धि हुई है लेकिन दिल्ली अभी भी दूर है।
सही स्क्रीन साइज़ का चुनाव:
स्मार्ट फोंस के स्क्रीन साइज़ दिन ब दिन बड़े होते जा रहे हैं। आप तय कर लें की आपको कौन सा साइज़ सूट करेगा। अगर एक हाथ से इस्तेमाल की सुविधा चाहते हैं तो 4 इंच यह उससे छोटे स्क्रीन से भी काम चल जाएगा लेकिन आज के समुन्नत स्मार्ट फोंस की दुनिया में चार इंच से छोटा फ़ोन लेकर फ़ोन के फीचर्स का सही मज़ा नहीं ले सकते। चाहे गेम्स हों फिल्म हों, टाइपिंग हो या अप्प्स का प्रबंधन ४ या उससे बड़ा स्क्रीन साइज़ इस्तेमाल को आसान ही नहीं मजेदार भी बना देता है। यह एक व्यक्तिगत चुनाव का मामला है लेकिन सारे विकल्पों को जांच परख कर ही निर्णय लें।
प्रोसेसर:
स्मार्ट फ़ोन का दिल और दिमाग उसका प्रोसेसर होता है। अब मॉडल देखकर फ़ोन खरीदने के जमाने गए, फ़ोन का प्रोसेसर क्या है उसका RAM कितना है, इन सब बातों की जानकारी आवश्यक हो गयी है। अगर आपके पास क्वैड कोर कुअलकॉमं स्नेपड्रैगन 600 हो तो यह और किसी ड्यूल कोर प्रोसेसर से बहुत ज्यादा काम कम समय में कर पायेगा। गेमिंग और मल्टीटास्किंग का मज़ा ही कुछ और होगा। हाई एंड स्मार्ट फोंस आज 2GB RAM और 16 GB स्टोरेज के साथ ही आते हैं लेकिन 1GB RAM और 8 GB स्टोरेज भी अच्छा विकल्प है। मेगापिक्सेल की माया में न फंसें और तस्वीरें खुद लेकर देखें और परखें, 5-6 मेगापिक्सेल आम उपयोग के लिए पर्याप्त है।
बैटरी :
ज़रा सोचिये! सबकुछ हाई क्वालिटी है आपका फ़ोन सबकुछ कर सकता है लेकिन लंच टाइम हुआ नहीं के बैटरी ने दांत निपोर दिया। अब भला ऐसा संयंत्र किस काम का? स्मार्ट फोंस रक्त पिपासु होते हैं और इनको जितना बैटरी पिलाइए उतना ही कम है लेकिन ऐसे भी क्या जल्दी के हम इसका उपयोग ही न करने पायें। औसतन स्मार्ट फोंस की बैटरी ६ -७ घंटे तक चला करते हैं लेकिन कुछ एक आठ घंटे तक भी चल जाते है। आपकी उपयोगिता इसका पैमाना तो है ही इसके अलावा आपका यह जानना भी जरूरी है के बैटरी की पॉवर कितनी बताई गयी है।
2000 mAH से अधिक जो हो सब अच्छा है। यह भी पता करें के पॉवर सेविंग विकल्प फ़ोन में उपलब्ध है या नहीं। आश्वस्त हो लें के बैटरी निकालने की सुविधा है या नहीं, कई उच्च स्तरिय फ़ोन बैटरी निकालने की सुविधा नहीं देते। बैटरी लाइफ स्कोर के बारे में ऑनलाइन चेक करना भी एक अच्छा हल है। स्मार्ट फ़ोन खरीदने से पहले थोडा सा होमवर्क कर लिया जाए तो स्मार्ट फ़ोन से जुडी आपकी समस्याएं कम हो सकती है।