केजरीवाल की जंग के साथ बैठक करीब आधे घंटे चली। केजरीवाल के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया भी थे। बैठक के बाद आप नेता ने मीडिया से कोई बातचीत नहीं की। हालांकि सूत्रों ने बताया कि बैठक में सरकार गठन का मुद्दा भी उठा। पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद पिछले हफ्ते आप के कुछ विधायकों ने पार्टी के लिए भाजपा या कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में फिर से सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा था।
आप सूत्रों ने बताया कि पार्टी के कई विधायक तुरंत चुनाव नहीं चाहते और उनका मानना है कि अगर जल्दी चुनाव कराए गए तो ‘मोदी लहर’ से उनकी संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं। पार्टी ने हालांकि रविवार को दिल्ली में फिर से सरकार बनाने की संभावना को खारिज कर दिया था।
गौरतलब कि केजरीवाल ने 49 दिन तक दिल्ली में शासन करने के बाद लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर केजरीवाल सरकार ने 14 फरवरी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उस समय उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी दोनों पर सरकार को जनहित के काम न करने देने का आरोप लगाया था। फिलहाल इस समय दिल्ली में राष्ट्रपति शासन है। बाद में आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भी 400 से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये थे। केजरीवाल स्वयं नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़े, लेकिन बुरी तरह हार गए। इस पार्टी ने पंजाब से चार सांसद पाने में सफल रही।
केजरीवाल सरकार ने 14 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि पार्टी भाजपा और कांग्रेस के विरोध के कारण जनलोकपाल विधेयक नहीं पारित करा सकी थी। जनलोकपाल आप का प्रमुख मुद्दा रहा था। दिल्ली में 17 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।